आज ऋषि पंचमी है. हर साल भादो मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का पर्व मनाया जाता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन व्रत-उपासना करने से जाने-अनजाने में हुई गलतियों का प्रायश्चित किया जा सकता है. ऋषि पंचमी के दिन लोग सप्त ऋषियों की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद पाने के बाद अपने पापों को क्षमा करने की प्रार्थना करते हैं.
शास्त्रों में इन सप्त ऋषियों के नाम कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ बताए गए हैं.
ऋषि पंचमी तिथि:-
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 7 सितंबर को शाम 05 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी और 8 सितंबर को शाम 07 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के चलते ऋषि पंचमी का व्रत 8 सितंबर यानी आज रखा जाएगा.
ऋषि पंचमी की पूजन विधि:-
ऋषि पंचमी के दिन सवेरे स्नानादि के बाद साफ-सुथरे और हल्के पीले रंग के वस्त्र पहनें. फिर एक लकड़ी की चौकी पर सप्त ऋषियों की फोटो या प्रतिमा रखें. इस चौकी के साथ जल से भरा एक कलश भी रखें. सप्त ऋषि को धूप, दीप, फल, फूल मिठाई और नैवेद्यादि अर्पित करें. इसके बाद सप्त ऋषियों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें और दूसरों की मदद करने का संकल्प लें. आखिर में सप्त ऋषियों की आरती उतारें और व्रत कथा सुनें. फिर ऋषियों को लगाए गए भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करें. इसके बाद अपने बड़े बुजुर्गों के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें.
ऋषि पंचमी पूजा मंत्र:-
1. कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥
दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥
2. गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।
ऋषि पंचमी आरती:- श्री हरि हर गुरु गणपति ,सबहु धरि ध्यान।
मुनि मंडल श्रृंगार युक्त, श्री गौतम करहुँ बखान।।
ॐ जय गौतम त्राता , स्वामी जी गौतम त्राता ।
ऋषिवर पूज्य हमारे ,मुद मंगल दाता।। ॐ जय।।
द्विज कुल कमल दिवाकर ,
परम् न्याय कारी। जग कल्याण करन हित, न्याय रच्यौ भारी।।
ॐ जय।। पिप्लाद सूत शिष्य आपके, सब आदर्श भये।
वेद शास्त्र दर्शन में, पूर्ण कुशल हुए।।ॐ जय।।
गुर्जर करण नरेश विनय पर तुम पुष्कर आये ।
सभी शिष्य सुतगण को, अपने संग लाये।।
ॐ जय।। अनावृष्टि के कारण संकट आन पड्यो ।
भगवान आप दया करी, सबको कष्ट हरयो।।ॐ जय।।
पुत्र प्राप्ति हेतु , भूप के यज्ञ कियो।
यज्ञ देव के आशीष से , सुत को जन्म भयो।।ॐ जय।।
भूप मनोरथ पूर्ण करके , चिंता दूर करी।
प्रेतराज पामर की , निर्मल देह करी।।ॐ
जय।। ऋषिवर अक्षपाद की आरती ,जो कोई नर गावे।
ऋषि की पूर्ण कृपा से , मनोवांछित फल पावे ।।
ॐ जय।।