भोपाल। सरकारी अस्पताल एक ऐसी जगह है, जहां पर आम जनता बेहतर इलाज मिलने की उम्मीद में पहुंचती है। सरकार द्वारा समय-समय पर सरकारी अस्पताल में मरीजों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होने के दावे भी किए जाते हैं। लेकिन कई बार कुछ ऐसे मामले सामने आते हैं जो हैरान कर देने वाले होते हैं। अब ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जब मध्य प्रदेश शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ ने प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अमानक दवाइयों के जरिए मरीजों की जान से खिलवाड़ किए जाने के संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
चिकित्सक संघ द्वारा लिखे गए पत्र में यह बताया गया है कि मध्य प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन भोपाल के संदर्भित पत्रों में अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों की शिकायत पर ऑपरेशन के दौरान और आईसीयू में उपयोग की जाने वाली 10 जीवन रक्षक दवा लैब जांच में अमानक पाई गई है। पत्र में आगे लिखा है कि यह चिंता का विषय है कि 10 जीवन रक्षक दावों को अमानक पाया गया है। यह पूरी तरह से मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ है। ओआरएस जैसी सामग्री अमानक पाई गई है जो दस्त एवं डायरिया के मरीज या बच्चों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। चिकित्सकों द्वारा इन बीमारियों के गंभीर मरीजों का इलाज इन दवाओं से करने पर मरीज पर दवाओं का कोई असर नहीं हुआ। उचित कदम उठाने की मांग अमानक दवाइयों को लेकर शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ का कहना है कि लगातार अमानक दवाइयां पाए जाने से प्रतीत हो रहा है कि दवा निर्माता कंपनियों पर गुणवत्तापूर्ण दवाई का निर्माण करने को लेकर नियंत्रण नहीं है।
इस तरह की दवाई सप्लाई करने की स्थिति में निर्माता कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए आजीवन कारावास का कठोर दंड निर्धारित किया जाना चाहिए। पत्र में वर्तमान में अमानक दवाइयों को सप्लाई करने वाली कंपनी और उसके डायरेक्टर के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की मांग भी की गई है। चिकित्सक संघ द्वारा उच्च स्तरीय जांच के आदेश जारी करने की मांग भी की गई है।