हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष तिथि का व्रत किया जाता है और जब यह तिथि शुक्रवार के दिन पड़ती है, तब शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनसुार, शुक्र प्रदोष तिथि का व्रत करने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है और शत्रुओं से भी मुक्ति मिलती है। भगवान शिव को समर्पित इस व्रत के करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत की शाम को भगवान शिव कैलाश पर्वत पर स्थित रजत भवन में आनंद तांडव करते हैं और उसमें सभी देवी देवता उनके इस रूप की आराधना करते हैं। ऐसे में
आइए जानते हैं शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व, पूजा विधि और मंत्र...
शुक्र प्रदोष व्रत 2024 शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व:-
शुक्र प्रदोष तिथि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। पुराणों के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है। भगवान भोलेनाथ, देवों के देव हैं, महादेव हैं, महाकाल है, त्रिकालदर्शी हैं। भगवान शिव को समर्पित इस तिथि का व्रत करने से सभी कष्टों का अंत होता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही खुशियां, ऐशवर्य, सौंदर्य, सौभाग्य आदि की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि शुक्र प्रदोष व्रत के करने से 100 गायें दान करने का फल प्राप्त होता है और शत्रुओं से मुक्ति भी मिलती है। साथ ही जो लोग संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उनको खासतौर पर शुक्र प्रदोष तिथि का व्रत करना चाहिए।
शुक्र प्रदोष व्रत पूजा तिथि:-
शुक्र प्रदोष व्रत तिथि का आरंभ: 18 जुलाई, रात 8 बजकर 45 मिनट से शुक्र प्रदोष व्रत तिथि का समापन: 19 जुलाई, शाम में 7 बजकर 42 मिनट तक आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शुक्र प्रदोष तिथि का व्रत किया जा रहा है। प्रदोष काल को देखते हुए यह व्रत 19 जुलाई दिन शुक्रवार को किया जाएगा।
प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त :-
शाम के 7 बजकर 18 मिनट से रात्रि के 9 बजकर 22 मिनट तक।
शुक्र प्रदोष व्रत पर शुभ योग:-
19 जुलाई को शुक्र प्रदोष तिथि का व्रत किया जाएगा और इस दिन कई बेहद शुभ योग का संयोग भी बन रहा है। शुक्र प्रदोष तिथि के दिन रवि योग, ऐन्द्र योग, लक्ष्मी नारायण योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। इन शुभ योग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और आरोग्य की प्राप्ति भी होती है।
शुक्र प्रदोष व्रत पूजा विधि:-
प्रदोष तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान व ध्यान से निवर्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और फिर हाथ में अक्षत और फूल लेकर व्रत का संकल्प करें। इस बाद पास के शिवालय में जाकर भगवान शिव को गंगाजल, बेलपत्र, अक्षत, धूप दीप पूजा की सामग्री अर्पित करें।
पूरे दिन उपवास रखकर 'ॐ नमः शिवाय:' मन ही मन जप करना चाहिए। इसके बाद सूर्यास्त के बाद फिर से स्नान करें और शिवालय जाकर भगवान शिव का षोडषोपचार विधि से पूजन करना चाहिए। इसमें आप शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, गंगाजल, जल आदि से अभिषेक करें, फिर शिवलिंग पर चंदन लगाकर बेलपत्र, फूल, फल आदि अर्पित करें और फिर भगवान शिव के मंत्रों का जप करें।
इसके बाद आठों दिशाओं में 8 दीपक रखकर उनको 8 बार नमस्कार करें और शिव के गण नंदी को जल और दूर्वा खिलाकर चरण स्पर्श करें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।
शुक्र प्रदोष व्रत में इन मंत्रों का करें जप:-
ॐ शिवाय नम:
ॐ नमो भगवते रुद्राय नम: ॐ सर्वात्मने नम:
ॐ त्रिनेत्राय नम:
ॐ हराय नम:
ॐ श्रीकंठाय नम:
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमही तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ लेखक के बारे में