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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्या है और क्यों मनाया जाता है, जानिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024

Neemuch headlines March 8, 2024, 7:30 am Technology

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत कैसे हुई? 1910 में क्लारा जेटकिन नाम की एक महिला ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी थी.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस या महिला दिवस, कामगारों के आंदोलन से निकला था, जिसे बाद में संयुक्त राष्ट्र ने भी सालाना जश्न के तौर पर मान्यता दी. इस दिन को ख़ास बनाने की शुरुआत आज से 115 बरस पहले यानी 1908 में तब हुई, जब क़रीब पंद्रह हज़ार महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक परेड निकाली. उनकी मांग थी कि महिलाओं के काम के घंटे कम हों. तनख़्वाह अच्छी मिले और महिलाओं को वोट डालने का हक़ भी मिले. एक साल बाद अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का एलान किया. इसे अंतरराष्ट्रीय बनाने का ख़याल सबसे पहले क्लारा ज़ेटकिन नाम की एक महिला के ज़हन में आया था.

क्लारा एक वामपंथी कार्यकर्ता थीं. वो महिलाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाती थीं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव, 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया था. 'तुमसे न हो पाएगा' औरतों की 'माली हालत' का सबसे बड़ा रोड़ा 8 मार्च 2022 झारखंड में स्पेनिश महिला से गैंगरेप: समाज क्यों नहीं लगा पा रहा है अंकुश 7 मार्च 2024 नफ़रती पोस्टरों से लेकर दूसरे धर्म में मोहब्बत तक का सफ़र 4 मार्च 2024 क्लारा ज़ेटकिन ने साल 1910 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी उस सम्मेलन में 17 देशों से आई 100 महिलाएं शामिल थीं और वो एकमत से क्लारा के इस सुझाव पर सहमत हो गईं.

पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटज़रलैंड में मनाया गया. इसका शताब्दी समारोह 2011 में मनाया गया. तो, तकनीकी रूप से इस साल हम 112वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने जा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता 1975 में उस वक़्त मिली, जब संयुक्त राष्ट्र ने भी ये जश्न मनाना शुरू कर दिया. संयुक्त राष्ट्र ने इसके लिए पहली थीम 1996 में चुनी थी, जिसका नाम 'गुज़रे हुए वक़्त का जश्न और भविष्य की योजना बनाना' था. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, समाज में, सियासत में, और आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की तरक़्क़ी का जश्न मनाने का दिन बन चुका है. जबकि इसके पीछे की सियासत की जो जड़ें हैं, उनका मतलब ये है कि हड़तालें और विरोध प्रदर्शन आयोजित करके औरतों और मर्दों के बीच उस असमानता के प्रति जागरूकता फैलाना है, जो आज भी बनी हुई है.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आख़िर क्यों मनाया जाता है?:-

8 मार्च 2020 महिला दिवस पर हदिया को मिला 'तोहफ़ा' 8 मार्च 2018

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस:-

रेप पीड़ित महिलाओं को इंसाफ़ मिलना अब भी मुश्किल

8 मार्च 2022 8 मार्च ही क्यों?:-

जब क्लारा जेटकिन ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया था, तो उनके ज़हन में कोई ख़ास तारीख़ नहीं थी. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तो 1917 में जाकर तय हुआ था, जब रूस की महिलाओं ने 'रोटी और अमन' की मांग करते हुए, ज़ार की हुक़ूमत के ख़िलाफ़ हड़ताल की थी. इसके बाद ज़ार निकोलस द्वितीय को अपना तख़्त छोड़ना पड़ा था. उसके बाद बनी अस्थायी सरकार ने महिलाओं को वोट डालने का अधिकार दिया था. लोग इस दिन जामुनी रंग के कपड़े क्यों पहनते हैं?

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहचान अक्सर जामुनी रंग से होती है क्योंकि इसे 'इंसाफ़ और सम्मान' का प्रतीक माना जाता है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की वेबसाइट के मुताबिक़, जामुनी, हरा और सफ़ेद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रंग हैं. 'जामुनी रंग इंसाफ़ और सम्मान का प्रतीक है. हरा रंग उम्मीद जगाने वाला है, तो वहीं सफ़ेद रंग शुद्धता की नुमाइंदगी करता है.' हालांकि इस रंग से जुड़ी परिकल्पना को लेकर विवाद भी है. महिला अधिकार कार्यकर्ता कहते हैं , "महिला दिवस से ताल्लुक़ रखने वाले इन रंगों की शुरुआत 1908 में ब्रिटेन में महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक संघ (WSPU) से हुई थी." साड़ी पहनकर स्केटबोर्डिंग देखी है कभी? 6 मार्च 2024 एक ऐसी महिला की कहानी, जो देख नहीं सकतीं पर नज़रिए से बदली सोच 3 मार्च 2024 पाकिस्तान की इस महिला पुलिस अधिकारी की क्यों हो रही है इतनी चर्चा 28 फ़रवरी 2024 क्या कोई अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस भी है? हां, एक अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस भी है, जो 19 नवंबर को मनाया जाता है. हालांकि, इसे मनाने का चलन ज़्यादा पुराना नहीं है. अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने की शुरुआत!

1990 के दशक से हुई थी और अभी इसे संयुक्त राष्ट्र से मान्यता भी नहीं मिली है. ब्रिटेन समेत दुनिया के 80 से ज़्यादा देशों के लोग अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाते हैं. अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस के आयोजकों के मुताबिक़, ये दिन 'मर्दों के दुनिया में, अपने परिवारों और समुदायों में सकारात्मक मूल्यों के योगदान' के जश्न के तौर पर मनाया जाता है और इसका मक़सद पुरुषों के पॉज़िटिव रोल मॉडलों के बारे में दुनिया को बताने, मर्दों की बेहतरी को लेकर जागरूकता फैलाने के साथ-साथ, औरतों और मर्दों के आपसी रिश्तों को सुधारना है. हिंदू धर्म और अपनी जाति का दम ठोकती इंस्टाग्राम गर्ल्स 23 फ़रवरी 2024 ख़ुद सुन नहीं सकती, लेकिन दुनिया को सुनाई कामयाबी की कहानी 21 फ़रवरी 2024 टीना रहीमी: जो हिजाब पहनकर करती हैं बॉक्सिंग 19 फ़रवरी 2024 महिला दिवस कैसे मनाया जाता है?

कई देशों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश रहता है. इन देशों में रूस भी शामिल है, जहां आठ मार्च के आस-पास के तीन चार दिनों में फूलों की बिक्री दोगुनी हो जाती है. चीन में राष्ट्रीय परिषद के सुझाव पर बहुत सी महिलाओं को आठ मार्च को आधे दिन की छुट्टी दे दी जाती है. इटली में महिलाओं को आठ मार्च को मिमोसा फूल देकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. ये परंपरा कब से शुरू हुई, ये तो साफ़ नहीं है. मगर, माना ये जाता है कि इसकी शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद रोम से हुई थी. अमेरिका में मार्च का महीना महिलाओं की तारीख़ का महीना होता है. हर साल राष्ट्रपति की तरफ़ से एक घोषणा जारी की जाती है, जिसमें अमेरिका महिलाओं की उपलब्धियों का बखान किया जाता है. ओडिशा की लक्ष्मी ने श्मशान में किए 40,000 से ज़्यादा अंतिम संस्कार 18 फ़रवरी 2024 बाबर की बेटी की कहानी जिसने ठुकराए थे ऑटोमन सुल्तान के शाही फरमान 16 फ़रवरी 2024 ज़ैनब अल-नफ़ज़ाविया: इस्लामी इतिहास की प्रभावी मलिका जिन्हें ‘जादूगर’ कहा गया!

18 फ़रवरी 2024 अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 की थीम क्या है? 2024 के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्र की थीम 'महिलाओं में करें निवेश: समृद्धि में लाएं तेज़ी' है. हालांकि इस साल के अभियान की थीम 'इंस्पायर इंक्लूजन' है. इसमें समाज के सभी पहलुओं में विविधता और सशक्तिकरण के महत्व पर ज़ोर दिया गया है. अभियान का विषय लैंगिक समानता हासिल करने में समावेशन की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल देता है. यूएन वीमेन की बेवसाइट के मुताबिक लैंगिक समानता हासिल करने के लिए अभी अतिरिक्त 360 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष की ज़रूरत है. जसिंता केरकेट्टा से समझिए आदिवासियों का दर्द 10 फ़रवरी 2024 जब घोड़े पर सवार महिलाओं ने समाज की रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ा 30 जनवरी 2024 व्यक्तित्व के वो कौन से पहलू हैं जो लुक्स से ज़्यादा होते हैं आकर्षक 12 जनवरी 2024

महिला दिवस की ज़रूरत क्यों है?:-

पिछले दो साल के दौरान अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, यूक्रेन और अमेरिकाा जैसे कई देशों में महिलाएं अपने अपने देशों में युद्ध, हिंसा और नीतिगत बदलावों के बीच अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ती रही हैं. अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी ने मानव अधिकारों के मामले में तरक़्क़ी को बाधित कर दिया है, क्योंकि महिलाओं और लड़कियों को उच्च शिक्षा हासिल करने से रोक दिया गया गया है. उनके घर से बाहर ज़्यादातर काम करने पर और किसी पुरुष संरक्षक के बग़ैर लंबी दूरी का सफ़र करने पर पाबंदी लगा दी गई है. तालिबान ने महिलाओं को हुक्म जारी किया है कि वो घर से बाहर या दूसरे लोगों के सामने अपना पूरा चेहरा ढक कर रखें. नीना सिंह: सीआईएसएफ के 54 साल के इतिहास में पहली महिला महानिदेशक 29 दिसंबर 2023 पोस्टमॉर्टम करने वाली महिला जो किसी से डरती नहीं है... 27 दिसंबर 2023 अमृता प्रीतम और इमरोज़: प्रेम कहानी एक कवयित्री और चित्रकार की 22 दिसंबर 2023 ईरान में पुलिस ने चश्मदीदों के उन दावों को ख़ारिज किया कि महसा अमीनी को मारा-पीटा गया था ईरान में विरोध प्रदर्शन ईरान में 22 साल की महसा अमीनी नाम की महिला की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन भड़क उठे थे. हसा को क़रीब दो साल पहले 13 सितंबर 2022 को ईरान की मॉरिलिटी पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. उन पर सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के अपने बाल दुपट्टे से ढंकने के सख़्त नियम को तोड़ने का इल्ज़ाम था. उसके बाद से पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिनका सिलसिला अब तक जारी है. ईरान में कई महिलाएं और पुरुष अब महिलाओं के लिए बेहतर अधिकारों की मांग उठा रहे हैं. वो मौजूदा सियासी नेतृत्व में भी बदलाव चाहते हैं. प्रदर्शनकारियों ने नारा दिया- 'औरतें, ज़िंदगी, आज़ादी'. ईरान की हुकूमत इन विरोध प्रदर्शनों को 'दंगा' कहकर प्रदर्शनकारियों से बेहद सख़्ती से निपट रही है. विरोध प्रदर्शनों और सरकार के इन्हें कुचलने की कोशिशों में सैकड़ों लोग मारे गए. तुलसी मेघवार: पाकिस्तान की 'पहली हिंदू लड़की' जो खेलों की दुनिया में नाम कमा रही है 12 दिसंबर 2023 कॉस्मेटिक ब्रांड हुडा ब्यूटी को बनाने वाली हुडा कट्टन की कहानी 10 दिसंबर 2023 ईरान की जेल में बंद नरगिस मोहम्मदी के बच्चों ने जब अरसे बाद उनकी आवाज़ सुनी 10 दिसंबर 2023 24 फ़रवरी 2022 को रूस की सेना ने यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया था. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन में खाने पीने की कमी, कुपोषण और ग़रीबी के मामले में औरतों और मर्दों के बीच फ़ासला बढ़ गया है. युद्ध के चलते क़ीमतों में उछाल और क़िल्लत के कारण यूक्रेन में महिलाओं के प्रति हिंसा की घटनाओं में बहुत इज़ाफ़ा हो गया है. 24 जून 2022 को अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड के एक ऐतिहासिक क़ानून को पलट दिया. इस क़ानून के तहत अमेरिकी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार हासिल था. सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद से पूरे अमेरिका में इसके ख़िलाफ़ शोर उठा और विरोध प्रदर्शन हुए. बहुत सी अमेरिकी महिलाएं, गर्भपात के लिए मेक्सिको जाने का विकल्प चुन रही हैं. क्योंकि, 2021 में एक ऐतिहासिक फ़ैसले के बाद, मेक्सिको में गर्भपात कराना जायज़ कर दिया गया था. तालिबान के डर से जब एक पिता ने बेटी को बेटा बनाकर पाला 6 दिसंबर 2023 लड़कियों को पढ़ाने पर थप्पड़ खाने वाली पाकिस्तानी लड़की ने ऐसे रचा इतिहास 6 दिसंबर 2023 ख़तरों से जूझतीं मेक्सिको की महिला ट्रक ड्राइवर 24 नवंबर 2023 हालांकि, पिछले कुछ वर्षों के दौरान महिलाओं की स्थिति में सुधार भी आया है. दस साल के संघर्ष के बाद नवंबर 2022 में यूरोपीय संसद ने एक क़ानून पारित किया. इससे 2026 तक बाज़ार में सार्वजनिक कारोबार करने वाली कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की अधिक नुमाइंदगी सुनिश्चित हो सकेगी. यूरोपीय संघ ने कहा, "ऊपरी ओहदे पर बैठने की क़ाबिलियत रखने वाली बहुत सी महिलाएं हैं और अपने नए यूरोपीय क़ानून से हम ये सुनिश्चित करेंगे कि इन महिलाओं को उन ओहदों तक पहुंच पाने का असली मौक़ा मिल सके." इसी बीच, आर्मेनिया और कोलंबिया में पिता बनने पर छुट्टी से जुड़े क़ानूनों में भी बदलाव किया गया है. वहीं, स्पेन ने माहवारी पर सेहत की छुट्टी लेने और गर्भपात की सुविधाएं बढ़ाने वाले क़ानून पारित किए हैं.

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