चीताखेड़ा । अंचल में शनिवार को की अलसुबह से ही आसमान में बादल उमड़ घुमड़ कर गरज चमक के साथ बेमौसम बारिश की एक बार फिर दस्तक ने वर्तमान में खेतों में खड़ी बेशकीमती रबी की योवन अवस्था में गेहूं, चना, धनिया मैथी सरसों, इसबगोल, जीरा, कलौंजी, अलसी आदि फसलों की कटाई चल रही है ऐसे समय में कहर बनकर आफत की बारिश ने फसलों को जमींदोज कर दिया।
इसी के साथ खासकर क्षेत्र में बड़ी मात्रा में बोई जाने वाली काला सोना अफीम की फसल पर कहर बनकर बरसी बरसात ने बुरी तरह नुकसान पहुंचाया है। विगत 10 से 15 दिनों पूर्व शीतलहर के प्रकोप एवं कोहरा छाया रहने की चपेट में आने से फसलों में 70 प्रतिशत नुकसान पहुंचा है और फिर इसके बाद अब शनिवार को बैमौसम बारिश ने पलटवार करते हुए पूरी तरह से तैयार फसलों पर बारिश ने बची कुची शतप्रतिशत फसलों को नष्ट कर दिया है कुछ पछाती फसलों पर उम्मीद की आस थी तो प्रकृति को वह भी रास नहीं आई और शनिवार को प्रातः 7 बजे से ही चली बारिश ने वह भी छिनली। दिनभर रुक- रुककर रिमझिम रिमझिम बारिश का दौरा चलता रहा। किसान करें तो क्या करें, खून के आंसू रोने पर मजबूर हो गया है। चारों तरफ से थका हारा हताश किसान को सरकार पर थोड़ी आस जगी थी पर सरकार भी किसानों को पीड़ा समझने को तैयार नहीं है। इनका कहना सरकार में बैठे राजनेता अपना वैतन भत्ता बढ़ाने में तो सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर लेते हैं लेकिन बात जब किसानों के हित की आती है तो इनकी भोंहे क्यों तन जाती है। किसान भी तो खून पसीना बहा कर फसलों को उपजाकर देश की अर्थव्यवस्था में सह भागीता निभाता है तो सत्ता में बैठे नेता किसानों से इतनी नफ़रत क्यों।
कृषक दशरथ माली, चीताखेड़ा। पहले तो पाला एवं 10 से 13 दिनों तक कोहरा छाया रहने से किसानों के खेतों में खड़ी बेशकीमती फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है, एक बार फिर बैमौसम बारिश ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। शासन प्रशासन को चाहिए कि शीघ्र नुकसानी का सर्वे कर बीमा और मुआवजा दिलाया जाए - कृषक नरेश पाटीदार, पीठ । किसानों के खेतों में खड़ी एवं कटी हुई फसलों में नुकसान हुआ है। वहीं दिन भर रुक-रुककर बारिश आने से अफीम के डोडों को अफीम धुलजाने के डर से चीरा तक नहीं लगाया। इस बारिश से अफीम की फसलों में भारी नुक्सान है कृषक राधेश्याम भदौरिया चीताखेड़ा। मैंने मेरे दो बीघा खेत में इसबगोल की फसल बोई थी जो पककर तैयार हो गई बारिश के अचानक आ जाने से बालियां (मांजरे) धूल गई। बरसात से 80 प्रतिशत नुकसान पहुंचा है कृषक सुरजमल सोलंकी चीताखेड़ा।