नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या से लौटकर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। ये उस पत्र का जवाब है, जो उन्हें कुछ दिन पहले महामहिम राष्ट्रपति से प्राप्त हुआ था। अपने पत्र में प्रधानमंत्री ने अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम और उस दौरान उनकी मन:स्थिति के बारे में लिखा है। उन्होने बताया है कि इस आयोजन में सम्मिलित होकर उन्हें कैसा महसूस हुआ और प्रभु राम की प्रेरणा से वो वंचित और गरीब वर्ग के लिए सदैव कार्य करते रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लिखा गया पत्र पीएम मोदी ने अपने पत्र में लिखा है कि ‘अयोध्या धाम में अपने जीवन के सबसे अविस्मरणीय क्षणों का साक्षी बनकर लौटने के बाद, मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूं। मैं एक अयोध्या अपने मन में भी लेकर लौटा हूं। एक ऐसी अयोध्या जो कभी मुझसे दूर नहीं हो सकती। अयोध्या जाने से एक दिन पूर्व मुझे आपका पत्र मिला था। आपकी शुभकामनाओं और स्नेह का मैं बहुत बहुत आभारी हूं। आपके पत्र के हर शब्द ने आपके करुणामयी स्वभाव और प्राण-प्रतिष्ठा के आयोजन पर आपकी असीम प्रसन्नता को व्यक्त किया। जिस समय मुझे आपका पत्र मिला था, मैं एक अलग ही भावयात्रा में था। आपके पत्र ने मुझे, मेरे मन की इन भावनाओं को संभालने में, उनसे सामंजस्य बिठाने में अपार सहयोग और संबल दिया। मैंने एक तीर्थयात्री के रूप में अयोध्या धाम की यात्रा की। जिस पवित्र भूमि पर आस्था और इतिहास का ऐसा संगम हुआ हो, वहां जाकर मेरा मन अनेक भावनाओं से विह्वल हो गया। ऐसे ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनना एक सौभाग्य भी है और एक दायित्व भी है। आपने मेरे 11 दिन के व्रत-अनुष्ठान और उससे जुड़े यम नियमों के विषय में भी चर्चा की थी। हमारा देश ऐसे अनगिनत लोगों का साक्षी रहा है जिन्होने शताब्दियों तक अनेक संकल्प व्रत किए जिससे कि रामलला पुन: अपने जन्मस्थान पर विराज सकें। सदियों तक चले इन व्रतों की पूर्णाहुति सा संवाहक बनना, मेरे लिए बहुत भावुक क्षण था और इसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूंं। 140 करोड़ देशवासियों के साथ रामलला के साक्षात दर्शन, उनके रूप से साक्षात्कार और उनके स्वागत का वो क्षण अप्रतिम था। वो क्षण प्रभु श्री राम और भारत के लोगों के आशीर्वाद से ही संभव हुआ और इसके लिए मैं सदा कृतज्ञ रहूंगा। जैसा कि आपने कहा था, हम न सिर्फ प्रभु श्रीराम को पूजते हैं, बल्कि जीवन के हर पहलू में और विशेषकर सामाजिक जीवन में उनसे प्रेरणा लेते हैं। आपने पत्र में ‘पीएम जनमन’ और जनजातीय समाज में भी अति पिछड़ों के सशक्तिकरण पर इस योजना के प्रभाव की चर्चा की। आदिवासी समाज से जुड़े होने के कारण आपसे ज्यादा बेहतर तरीके से ये कौन समझ सकता है? हमारी संस्कृति ने हमेशा, हमें समाज के सबसे वंचित वर्ग के लिए काम करने की सीख दी है। पीएम जनमन जैसे कई अभियान आज देशवासियों के जीवन में बड़ा बदलाव ला रहे हैं। गरीब कल्याण के इन कार्यों के लिए, गरीबों के सशक्तिकरण के इन अभियानों के लिए प्रभु श्रीराम के विचार हमें निरंतर ऊर्जा देते हैं। ये प्रभु श्रीराम ही तो हैं, जिन्होने अपने जीवन के हर अध्याय में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की प्रेरणा दी। इसी मंच का आज सर्वत्र परिणाम दिख रहा है। पिछले एक दशक में देश करीब 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुआ है। प्रभु श्रीराम के शाश्वत विचार भारत के गौरवशाली भविष्य का आधार हैं। इन विचारों की शक्ति ही हम सभी देशवासियों के लिए वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी। श्रीराम का भव्य मंदिर हमें सफलता और विकास के नव प्रतिमान गढ़ने की प्रेरणा देता रहेगा। आपके प्रेरणादायी शब्दों के लिए पुन: आभार। मुझे विश्वास है कि देश इसी तरह आपके मार्गदर्शन के साथ प्रगति और कर्तव्य के पथ पर आगे बढ़ता रहेगा।’