अयोध्या। उत्तर प्रदेश में भगवान राम की नगरी अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य मंदिर उद्घाटन समारोह आयोजित होगा। देश के साथ ही दुनियाभर से यहां आम लोग और साधू-संत पहुंचेंगे। लेकिन भारत के पडोसी देश नेपाल से भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में 21 हजार पुजारी आने वाले हैं। दरअसल, राम मंदिर के अभिषेक समारोह से पहले 14 जनवरी से 25 जनवरी तक अयोध्या में सरयू नदी के तट पर 1008 नर्मदेश्वर शिवलिंगों की स्थापना के लिए एक भव्य 'राम नाम महायज्ञ' आयोजित किया जाएगा।
जिसमें ये 21 हजार पुजारी शामिल होंगे। ऐसा होगा महायज्ञ: इस महायज्ञ को नेपाल के 21,000 पुजारी ही संपन्न करेंगे। इसके लिए 1008 झोपड़ियां पहले से ही बनकर तैयार हैं, जिसमें एक भव्य यज्ञ मंडप भी शामिल हैं और इसमें 11 परतों की छत है। श्रीराम नाम महायज्ञ का होगा नेपाली बाबा की होगी खास भूमिका: टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक राम मंदिर से 2 किलोमीटर दूर सरयू नदी के रेत घाट पर 100 एकड़ में टेंट सिटी बसाई गई है। महायज्ञ का आयोजन आत्मानंद दास महात्यागी उर्फ नेपाली बाबा द्वारा किया जाएगा, जो अयोध्या के रहने वाले हैं मगर अब वह नेपाल में बस गए हैं। उनका कहना है कि मैं यह यज्ञ हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर करता हूं, मगर इस साल हमने राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह के मद्देनजर इसे बढ़ा दिया है।
1008 शिवलिंग होंगे विसर्जित: अयोध्या में हर दिन 50,000 भक्तों के ठहरने की व्यवस्था की जा रही है और प्रति दिन लगभग 1 लाख भक्तों के लिए भोज का आयोजन होगा। महायज्ञ समाप्त होने के बाद 1008 शिवलिंगों को पवित्र सरयू नदी में विसर्जित किया जाएगा। महायज्ञ के दौरान रामायण के 24 हजार श्लोकों के जाप के साथ 17 जनवरी से हवन शुरू होगा, जो 25 जनवरी तक चलेगा। हर दिन 1008 शिवलिंगों का पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा और यज्ञशाला में बने 100 कुंडों में 1100 जोड़े राम मंत्रों के उच्चारण के साथ हवन करेंगे। एमपी से आए शिवलिंग के लिए पत्थर: नेपाली बाबा के मुताबिक, शिवलिंगों की नक्काशी के लिए मध्य प्रदेश की नर्मदा नदी से पत्थर लाए गए हैं। शिवलिंग की तराशी का काम 14 जनवरी से पहले पूरा हो जाएगा। आत्मानंद दास महात्यागी के मुताबिक मेरा जन्म मंदिर शहर के फटिक शिला इलाके में हुआ था और मैं तपस्वी नारायण दास का शिष्य हूं।
उनका दावा है कि नेपाल राजा ने उनका नाम 'नेपाली बाबा' रखा था। बता दें कि अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा है।