कुकडेश्वर। गुरुओं में सबसे सर्वोत्तम गुरु भगवंत भगवान महावीर है जिन्होंने हमें राग, द्वेष से मुक बनने की कला सिखाई है और हमारा राग, द्वेष मुक्त बना रहें जिवन क्योंकि आज सारी अशांति बाहरी कमी के कारण है। में दुखी हूं हमारे मन में यह बात बेठी हैं क्योकि हम दुसरों को देखते हैं कि उसके पास सब कुछ है मुझे भी ये मिल जाये धन,वैभर,सुख सुविधा उससे भी अधिक हो ये बात हमेशा खलती है कि मेरे पास ये नहीं व हमारा मन इस के लिए लड़ता रहता है।अभाव को पुर्ण करने के लिए जो हमारी बहुत बड़ी भुल है। उक्त बात अखिल भारत वर्षीय साधुमार्गी जैन संघ के नायक नवम् पटधर आचार्य भंगवत श्री रामलाल जी मसा के शिष्य बेले बेले के तपस्वी उपाध्याय प्रवर बहु श्रुत वाचनाचार्य श्री राजेश मुनि जी मसा ने कुकडेश्वर जैन सराय में धर्म प्रभावना देते हुए फरमाया कि हमारे भीतर में समता भाव की कमी है सत्य की कमी है और शांति के लिए समभाव की आवश्यकता है। आपने फरमाया कि सत्य से बोध का अभाव मुख्यतः अशांति हैं, और सत्य के लिए पुरुषार्थ की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार शांति के लिए और पुरुषार्थ के लिए श्रृंध्दा और विश्वास की जरूरत हैं।आज दुनिया की कमी हमें अशांत कर रही हैं उसकी वजह हैमन वर्तमान से असन्तुष्ट रहता है, उसे पड़ोसी हमेशा सुखी दिखता है आज हम बाहरी सुख के लिए मेहनत कर रहे लेकिन मेहनत कहा करनी चाहिए उसका बोध नहीं जिसने मेहनत धर्म कार्य में करली राग द्वेष से विजय प्राप्त कर लिया वो सुखी है जिनेश्वर भंगवत फरमाते हैं कि राग द्वेष से दुर रहकर जिवन मे ये धारणा बनायें कि जो प्राप्त है वो प्रर्याप्त हैं जिस हाल में है उस हाल में आंनद हैं आज हम वर्तमान से अशांत होते हैं जितने वाला हारने वाले से ज्यादा दुखी हैं क्योंकि उसे संतुष्टि नहीं और हारने वाला व्यक्ति सुखी क्योंकि हार कर पुरुषार्थ करेगा और आंनदीत होगा आज सभी भाग्य का रोना रोते भाग्य के भरोसे रहते वो सबसे अधिक दुर्भाग्य का सामना करते हैं जो ललक भाग्य पर लगाते वो पुरुषार्थ पर लगायें।जिवन मे राग नहीं करना और द्वेष नहीं रखना और आत्म विश्वास के साथ आत्म दृष्टि को जाने व सही दिक्षा को पहचानें तब हमें सत्य का बोध होगा और सच्चा आनंद व शांति मिलेगी और वो ही कल्याणकारी होगी। उक्त अवसर पर रामपुरा श्री संघ, कुकडेश्वर सकल जैन श्री संघ ने उपाध्याय प्रवर के प्रवचनों का लाभ लिया उपाध्याय प्रवर आदि ठाणा तीन का श्री वर्धमान स्थानक भवन से सुखे समाधे सुख साता पुर्वक विराज रामपुरा की और हुआ उक्त जानकारी साधुमार्गी जैन संघ के मनोज खाबिया ने दी।