नीमच। ज्ञानोदय स्कूल में विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए एक दिवसीय मनोविज्ञान कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. स्वाति वधवा (प्रसिद्ध मनोचिकित्सक) उपस्थित थी ।
कार्यशाला में डॉ. स्वाति वधवा ने अपने संबोधन में कहा कि मौजूदा समय में हर व्यक्ति तनावपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहा है। इससे उसकी प्रतिभा पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। अगर मनुष्य अधिक तनाव में रहेगा तो उसका जीवन दूभर हो जाता है । उन्होंने कहा कि हम अपने तनाव को कई प्रकार से कम कर सकते हैं। इसमें सबसे बड़ा उपाय है सकारात्मक सोच। नकारात्मक सोच के कारण मनुष्य का विकास रुक जाता है। इसलिए हमें सकारात्मक सोच के साथ तनाव को नियंत्रण में रखना चाहिए। उन्होनें कहा कि सकारात्मक मनोविज्ञान विषय या साकल्यवाद के दृष्टिकोण से मानसिक स्वास्थ्य में एक व्यक्ति के जीवन का आनंद लेने की क्षमता और जीवन की गतिविधियों और मनोवैज्ञानिक लचीलापन हासिल करने के प्रयास के बीच में शामिल हो सकता है। मानसिक स्वास्थ्य हमारी भावनाओ की अभिव्यक्ति है और मांग की विस्तृत श्रृखंला के लिए एक सफल अनुकूलन का प्रतीक है।
आपने विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षाओ सम्बंधी मनोविज्ञानिक सलाह भी दी ।विद्यालय की निर्देशिका डॉ. गरिमा चौरसिया ने अपने उद्बोधन में कार्यशाला में छात्र.छात्राओ को मानसिक स्वास्थ्य एवं लक्षण तथा उपचार के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विशेषज्ञो के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति संतोषी एवं प्रसन्न्चित रहता है भय क्रोध,प्रेम द्वेष,निराशा अपराध आदि आवेगो से व्यथित नही होता।योग्यता और क्षमता को न तो अत्याधिक उत्कृष्ट और न हीन समझता है वह ममत्वशील तथा दूसरे की भावनाओ को ध्यान रखता है। प्राचार्य सरिश जोस ने कहा कि मानसिक तनाव विद्यार्थी जीवन में बहुत हानिकारक है। विद्यार्थी को अपनी सभी समस्याएं अपने शिक्षक या माता.पिता के सामने बतानी चाहिए ताकि समय रहते उनका समाधान हो सके और विद्यार्थी तनावमुक्त रह सके।
इस अवसर पर विद्यालय की काउंसलर श्रीमती येलिना भंडारी भी उपस्थित थी ।