श्रीनगर। कश्मीर में न्यूनतम तापमान हिमांक बिंदु से कई डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया और घाटी में 40 दिनों की भीषण सर्दी का दौर शुरू होने वाला है जिसे 'चिल्लई कलां' कहते हैं। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर मंगलवार रात न्यूनतम तापमान शून्य से 4.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।
पिछली रात यह तापमान शून्य से नीचे 3.7 डिग्री था। अधिकारी ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से 6.3 डिग्री सेल्सियस नीचे तथा बारामुला जिले के प्रसिद्ध स्की रिसॉर्ट गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से 4.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। यहां तापमान शून्य से नीचे उन्होंने बताया कि काजीगुंद में न्यूनतम तापमान शून्य से 4 डिग्री सेल्सियस नीचे, कोकेरनाग में शून्य से 3.3 डिग्री सेल्सियस नीचे और कुपवाड़ा में शून्य से 3.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। मौसम कार्यालय ने कश्मीर में अगले कुछ दिनों तक मौसम शुष्क रहने तथा न्यूनतम तापमान में और गिरावट आने का अनुमान जताया है। 'कांगड़ी' का इस्तेमाल: कश्मीर के कई इलाकों में बिजली की समस्या होने की वजह से लोगों को 'कांगड़ी' का इस्तेमाल करते देखा गया। ठंड के दिनों में जम्मू और कश्मीर के लोग ख़ुद को कांगड़ी से गर्म रखते हैं। कांगड़ी की टोकरी के अंदर रखा एक मिट्टी का बर्तन होता है जिसमें चारकोल जलाया जाता है।
कड़कड़ाती ठंड में यह एक पोर्टेबल और मूवेवल हीटर की तरह होता है जिसे ठंड से बचने के लिए कश्मीरी ऊनी कपड़ों के अंदर रखते हैं। ख़ुद को गर्म रखने का कश्मीरियों का यह एक पुराना तरीका है। तापमान में गिरावट के कारण धीमी गति के बहाव वाले कई जलस्रोत जम गए हैं तथा बच्चों और बुजुर्गों में श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ गई हैं। 'चिल्लई-कलां' 40 दिनों की भीषण सर्दी का अवसर : 'चिल्लई-कलां' 40 दिनों की भीषण सर्दी की अवधि है जब इस क्षेत्र में शीतलहर चलती है और तापमान इतने नीचे चला जाता है जिससे प्रख्यात डल झील सहित जल निकाय जम जाते हैं। घाटी के कई हिस्से इस स्थिति का सामना करते हैं। इस अवधि में ज्यादातर हिस्सों में विशेषकर ऊंचे इलाकों में बार-बार और बहुत बर्फबारी होती है। 'चिल्लई-कलां' की शुरुआत 21 दिसंबर से होती है और 31 जनवरी को यह समाप्त होगा। इसके बाद कश्मीर में 20 दिनों का 'चिल्लई-खुर्द' (छोटी ठंड) और 10 दिनों का 'चिल्लई-बच्चा' (हल्की ठंड) का दौर रहता है। इस दौरान शीतलहर जारी रहती है।