चीताखेड़ा । मार्च 2020 में कांग्रेस अल्पमत में आने के कारण सरकार चली जाने के बाद कमलनाथ ने संगठन को भाजपा से मुकाबला करने के लिए बूथ, सेक्टर और मंडलम पर काम किया। वहीं युवा कांग्रेस को एक बूथ - दस यूथ बनाने का जो लक्ष्य दिया गया था, उस पर समितियां पार्टी की बात असरदार तरीके से मतदाताओं तक पहुंचा नहीं पाई और न ही जनता की नब्ज को टटोलने में सफल हुई। भाजपा के सामने कहीं नहीं टिके कांग्रेस के बूथ, सेक्टर और मंडलम। मतदान तक नेताओं के ईर्द-गिर्द सिमट कर रह गई सारी इकाइयां । कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी में युवा कांग्रेस को प्रत्येक बूथ - दस यूथ की टीम तैयार करने का लक्ष्य दिया गया जो सभी पोलिंगों तक पहुंच ही नहीं पाया। सभी इस मुगालते में रह गए कि भाजपा के खिलाफ लहर है हम चुनाव जीत जाएंगे। अगर बूथ, सेक्टर और मंडलम तथा कांग्रेस के अन्य संगठन के पदाधिकारी सभी बूथों के स्तर पर मतदाताओं तक कांग्रेस के वचन पत्र को समझने में अपनी अपनी जिम्मेदारी इमानदारी से निभा लेते तो हर बूथ पर शत-प्रतिशत भाजपा का सफाया हो गया होता। वैसे यह भी देखने में आया है कि भाजपा से ज्यादा कांग्रेस में गुटबाजी दिखावे में नहीं अंदर ही अंदर पार्टी के उम्मीदवार को नुक़सान पहुंचाने में पूरा दमखम लगा दिया। वहीं विरोध भाजपा में भी था पर सिर्फ दिखावा तक ही था। कांग्रेस के नेताओं ने अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार पर भाजपा से भी ज्यादा घात लगाकर नुकसान पहुंचाया।