नई दिल्ली ।NCR में वायु प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि किसानों को खलनायक बनाया जा रहा है और यहां अदालत में उनकी बात नहीं सुनी जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पंजाब सरकार की रिपोर्ट बताती है कि SHO द्वारा धान की पराली न जलाने के सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में दर्ज किया है कि खेतों में आग लगने की घटनाओं में बढ़ोतरी की प्रवृत्ति कम नहीं हुई है। पराली जलाने पर जमीन मालिकों के खिलाफ 984 एफआईआर दर्ज की गई हैं। 2 करोड़ रुपए से अधिक का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया गया है, जिसमें से 18 लाख रुपए की वसूली की जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि किसानों को खलनायक बनाया जा रहा है और यहां अदालत में उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। पराली जलाने के लिए उनके पास कुछ कारण होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल कि पंजाब सरकार पराली इसे जलाने के लिए किसान को बस एक माचिस की तीली जलानी होगी। किसानों के लिए फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मशीन ही सब कुछ नहीं है। भले ही मशीन मुफ्त में दी जाती है, इसमें डीजल की लागत, जनशक्ति आदि शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि पंजाब डीजल, जनशक्ति आदि को वित्तपोषित क्यों नहीं कर सकता और उपोत्पाद का उपयोग क्यों नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वित्तीय प्रोत्साहन देने के तरीके में पंजाब राज्य को भी हरियाणा राज्य से सीख लेनी चाहिए।