नई दिल्ली। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि प्रकृति की रचनाओं में मानव प्रजाति सबसे अधिक सामर्थ्यवान है। उसके पास बुद्धि, वाणी की अदभुत शक्तियां है। मानव का कर्तव्य है कि वह वन और वन्य प्राणी की सेवा का उत्तरदायित्व ग्रहण करे। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे वन और वन्यप्राणियों की 365 दिन सुरक्षा, संरक्षण और सेवा का संकल्प लें। पुरस्कार विजेताओं के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। उन्होंने अपेक्षा की है कि वह उत्साह और दायित्व बोध के साथ समाज में आगे बढ़कर वन और वन्य प्राणी संरक्षण प्रयासों का नेतृत्व करें। पटेल शनिवार को वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में आयोजित राज्यस्तरीय वन्य प्राणी सप्ताह समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के 98 विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व कॉफी टेबल बुक, बटरफ्लाई, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान बटरफ्लाई सर्वे रिपोर्ट और वन विभाग की गतिविधियों की त्रैमासिक पत्रिका वनांचल का लोकार्पण किया गया। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि वन और वन्य प्राणियों के साथ उनका जुड़ाव बहुत पुराना है। उन्हें गुजरात मे वन मंत्री के रूप में लंबे समय तक कार्य का अनुभव है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में मानव प्रजाति का हिस्सा बहुत छोटा है, हमारे चारों ओर जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की असंख्य प्रजातियाँ हैं। इन विभिन्न प्रजातियों और हमारी मानव जाति के बीच नाजुक संतुलन से ही इकोलॉजी तंत्र बनता है, जिसमें जैव विविधता महत्वपूर्ण भूमिका रखती है। हमारे ऋषि-मुनियों ने अपने तप, त्याग और साधना से हजारों साल पहले ही इकोलॉजी तंत्र के संरक्षण के लिए प्राणियों में सद्भावना का संदेश दिया था। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में वन और वन्यजीवों का विशिष्ट स्थान रहा है। विभिन्न देवी-देवताओं के वाहन वन्यजीव हैं। पेड़-पौधों की आराधना होती है। उन्होंने वन की प्रदक्षिणा, नवग्रहों, 12 राशियों और 27 नक्षत्रों में प्रत्येक के लिए पौधों की सांस्कृतिक महत्ता के बारे में बताया।
राज्यपाल पटेल ने वनों की पर्यावरणीय उपयोगिता के साथ ही वनों के स्वास्थ्य पर प्रभावों का उल्लेख करते हुए बताया कि वन अच्छादित गुजरात के डांग जिले के जनजातीय समुदाय में अनुवांशिक रक्त विकार सिकलसेल का प्रभाव नहीं है, जबकि दुनियाभर का जनजातीय समुदाय सिकल सेल से कम-ज्यादा प्रभावित है। डांग के जनजाति समुदाय में रोग का प्रभाव नहीं होना, उनके स्वास्थ्य पर वनों के लाभकारी होने का भी संकेत माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से प्रतिरक्षा में महत्वपूर्ण गिलोय भी वनों की देन है। वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह के आयोजन को वन्य प्राणियों के संबंध में नई पीढ़ी का ज्ञान, संरक्षण में जन भागीदारी को और अधिक मजबूत बनाने की पहल बताते हुए वन विभाग को साधुवाद और बधाई का पात्र बताया है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी असीम श्रीवास्तव ने वन्य प्राणी सप्ताह के दौरान संचालित गतिविधियों की जानकारी में बताया कि चित्रकला प्रतियोगिता के 5 वर्गों में 800 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसी तरह रंगोली के दो वर्गों में 88, फोटोग्राफी के दो वर्गों में 35, विद्यालय स्तर के वाद विवाद प्रतियोगिता में 24, महाविद्यालय में 18, मेंहदी में 159 और फेस पेंटिग में 21, पॉम पेंटिग में 95 एवं कक्षा तीन तक के बच्चों की फेंसी ड्रेस प्रतियोगिता में 22 प्रतिभागियों ने भाग लिया। वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह दौड़ में 470 और पक्षी अवलोकन शिविर में 240 प्रतिभागी सम्मिलित हुए। आभार प्रदर्शन संचालक वन विहार राष्ट्रीय उद्यान सुश्री पद्मप्रिय बालाकृष्णनन् ने किया।
कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव जे.एन. कंसोटिया, प्रधान मुख्य वन संरक्षक रमेश कुमार गुप्ता, प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम डॉ. अभय कुमार पटेल सहित बड़ी संख्या में महिलाए, बच्चे और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।