शास्त्री जी की जयंती पर पढ़ें उनके कुछ ऐसे विचार, जो लाएंगे सकारात्मक बदलाव

neemuch headlines October 2, 2023, 9:48 am Technology

प्रधानमंत्री और सादगी के प्रतीक लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती होती है चरित्रवान, निष्ठावान व देशभक्त लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर पूरा देश उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है भारत मां के वीर सपूत शास्त्री जी ने आजादी की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई।

उन्होंने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में देश को यशस्वी नेतृत्व प्रदान किया। लाल बहादुर शास्त्री ने देश के जवानों और किसानों को अपने कर्म और निष्ठा के प्रति सुद्ध रहने और देश को खाद्यान के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था यह नारा आज भी भारतीय जनता के बीच बेहद लोकप्रिय है और हमेशा जुबां पर रहेगा। लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी के राजनीतिक शिक्षाओं से अत्यंत प्रभावित थे। महात्मा गांधी के समान विचार रखने वाले लाल बहादुर शास्त्री शास्त्री जी आज 2 अक्टूबर को गांधीजी के साथ-साथ शास्त्री जी भी जयंती है देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भारत की आजादी में अहम योगदान दिया। उनका कद जरूर छोटा था लेकिन व्यक्तित्व और हृदय विराट था। अद्भुत साहस वाले इस छोटे कद के नेता ने अपने करिश्माई नेतृत्व से पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के आकस्मिक निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। आजादी की लड़ाई में उन्होंने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया. कई बार जेल गए। जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री को उनके शानदार व्यक्तित्व, अनुशासित जीवन, कठोर नैतिकता, विचारों और निडरता के लिए आज भी याद किया जाता है। उन्होंने अपना जीवन सादगी से जीते हुए इसे अपनी मातृभूमि के सेवा के लिए समर्पित कर दिया। शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का रामदुलारी था। इनके पिता एक शिक्षक थे। परिवार में सबसे छोटे होने के कारण बालक लालबहादुर को परिवार वाले प्यार से नन्हे कहकर ही बुलाया करते थे।

जवाहर लाल नेहरू के आकस्मिक निधन के बाद प्रधानमंत्री पद का बोझ उठाने के लिए मजबूत कंधे की जरूरत थी। शास्त्री जी की साफ-सुथरी छवि लोकप्रियता और मजबूत व्यक्तित्व के चलते उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया। जब शास्त्री जी प्रधानमंत्री बने, तब भारत में खाद्य पदार्थों का संकट था। 1965 में एक तरफ पाकिस्तान के साथ जंग और दूसरी तरफ भयानक सूखा। उन्होंने इस मुश्किल दौर में देश का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के बुरी तरह परास्त किया तब वह ही पीएम थे। उस समय लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश के लोगों से दो महत्वपूर्ण आह्वान किये थे। एक तो हर खाली जमीन पर अनाज और सब्जियां बोर्ड जाएं और दूसरा यह कि हर कोई सप्ताह में एक दिन उपवास रखे। देश में हरित क्रांति और दुग्ध क्रांति के पीछे शास्त्री जी बड़ा योगदान था।

देश में कृषि उत्पादन को बढ़ाने और किसानों के शोषण को रोकने के लिए उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया अनाजों की कीमतों में कटौती, भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में सेना को खुली छूट देना, ताशकंद समझौता जैसे उनके महत्वपूर्ण कदम और गजब की नेतृत्व क्षमता आज भी याद किए जाते हैं। 1966 में ताशकंद में उनका निधन हो गया। लाल बहादुर शास्त्री अपने देश के लिए बलिदान और सच्ची देशभक्ति के लिए सदैव याद किए जाते रहेंगे। मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। दोस्तों, शास्त्री जी कहते थे कि देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाय गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा। आज के दिन हमें उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए। इसी के साथ मैं अपने भाषण का समापन करता हूँ आपने मुझे शास्त्री जी जैसी महान शख्सियत पर बोलने का मौका दिया, इसके लिए आप सबका मैं तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।

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