नई दिल्ली। रोज उठना, काम पर जाना और फिर खाना खाकर सो जाना। क्या आपकी लाइफ साइकिल भी कुछ ऐसी ही चल रही है? क्या आप भी खुद के लिए समय निकाल नहीं पा रहे है? ये सवाल भले ही आपको सरल लग रहा होगा, लेकिन इसका अर्थ बहुत ही गहरा है। बदलते समय के साथ हर चीज में परिवर्तन हो रहा है, लेकिन अगर इंसान मानसिक और शारीरिक स्वस्थ नहीं तो पैसे कमाने का भी कोई मतलब नहीं रह जाता है। आज हम ये सब इसलिए कह रहे है, क्योंकि आज यानी 29 अगस्त का दिन खेल जगत के लिए बेहद ही खास है।
देश में इस समय हर घर में भारत के स्टार नीरज चोपड़ा के विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल करने को लेकर चर्चा हो रही है। बच्चों को इन प्लेयर्स का उदाहरण देकर करियर पर ध्यान देने को लेकर समझाया तो जरूर जाता है, लेकिन जब तक बच्चों को खेल के परिवार से ज्यादा सपोर्ट नहीं मिलेगा तब तक भारत को भविष्य में और नीरज चोपड़ा जैसा प्लेयर भला कैसे मिलेगा? इसी वजह से भी 29 अगस्त का दिन नेशनल स्पोर्ट्स डे मनाया जाता है। ऐसे में इस खास मौके पर जानते हैं कैसे, कब और किसकी वजह से राष्ट्रीय खेल दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी?
कब हुआ था राष्ट्रीय खेल दिवस मनाने का सफर? दरअसल, राष्ट्रीय खेल दिवस मनाने का सफर 29 अगस्त साल 2012 से शुरू हुआ था। जब इस तारीख को खिलाड़ियों को समर्पित करने का फैसला लिया गया। 29 अगस्त की तारीख को ही क्यों चुना गया? 29 अगस्त की तारीख इसलिए चुनी गई, क्योंकि इस दिन महान हॉकी प्लेयर मेजर ध्यानचंद का जन्म हुआ था। बता दें कि प्रयागराज में जन्में ध्यानचंद को इस खेल में महारत हासिल थी और उन्हें इसलिए हॉकी जादूगर और द मैजिशियन के नाम से बुलाया जाता था।
कौन थे मेजर ध्यानचंद? :-
29 अगस्त 1905 को इलाहबाद में जन्मे मेजर ध्यानचंद का जन्म हुआ था। वह एक सैनिक और खिलाड़ी थे। उन्हें भारतीय हॉकी के सबसे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक माना जाता था। वह आजादी से वह ब्रिटिश आर्मी में थे और हॉकी खेला करते थे। उनकी मौजूदगी में भारत ने 1928, 1932 और 1936 ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीते।
बता दें कि ध्यानचंद ने तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सेना के साथ अपने कार्यकाल के दौरान ही हॉकी खेलना शुरू किया था और 1922 और 1926 के बीच में उन्होंने कई सेना हॉकी टूर्नामेंट और रेजिमेंटल खेलों में हिस्सा लिया।