वर्तमान में लोगों की सबसे बड़ी समस्या है रहने के लिए मकान। लोगों का जीवन गुजर जाता है लेकिन अपने लिए घर खरीद या निर्माण नहीं कर पाते हैं। कई नौकरीपेशा और अपने घरों से दूर जाकर प्राइवेट जाब करने करने वाले किराए के मकानों में ही रहते हैं।
रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि कारणो से गांवो से शहरों की ओर लोगों का पलायन हो रहा है। बड़े शहरों में पढ़ाई के लिए विद्यार्थी भी किराए के मकानों मे निवास करते हैं। मकान मालिक के लिए मकान किराए पर देना कमाई का एक जरिया होता है जबकि किराएदार का मकान मालिक के साथ सामंजस्य बैठाकर निवास करना बड़ी चुनौती होती है। हर माह किराया राशि का भुगतान करते हुए परिवार का संचालन करना भी मुश्किलों से भरा होता है। कई बार मकान मालिकों के मनमाने रवैए के कारण किराएदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई मकान मालिक किराया वसूली के साथ अनाप शनाप बिजली बिल भी थोपने लगते हैं।
देश में किराएदारी कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। बड़े शहरों में किराएदार एजेंटों का कामकाज भी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसा भी देखने मे आता है कि मकान मालिक भी किराएदार द्वारा मकान पर कब्जा हो जाने के कारण परेशान होते हैं। उन्हे भी किराएदारों के विरुद्ध कसे दायर करना पड़ता है। इन सब मसलों को देखते हुये केंद्र सरकार ने इस नए कानून को मंजूरी दी है। जिसमे किराएदारों को भी कानूनों संरक्षण प्राप्त है। इस कानून मे मकान मालिक व किराएदार दोनों के हितों को संरक्षण प्रदान किया गया है। नया आदर्श किराएदारी अधिनियम 2020 केंद्र सरकार ने आदर्श किराएदारी अधिनियम 2020 लागू किया है। 2 जून 2021 को मॉडल टेनेंसी एक्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इसकर आधार पर राज्य नया कानून बनाकर या वर्तमान किराएदार कानून में संशोधन करके लागू कर सकते हैं। यह कानून बनाकर केंद्र का प्रयास है कि सभी राज्य सरकारें किराएदारी मामले में एक सा कानून बना सकें।
केंद्र ने इस कानून में हर आय वर्ग के लोगों को ध्यान में रखा है। मध्यप्रदेश में भी इस कानून के अनुसार किराएदारी नीति बनाने के लिए काम चल रहा है। संभावना है कि पहले यह नीति शहरी क्षेत्र में लागू होगी। पूर्व से एक पुराना रेंट कंट्रोल कानून 1948 भी लागू है इसके आधार पर राज्य सरकारों ने अपने कानून बनाए हैं। जिनके अनुसार वर्तमान मे किराएदारी संबंधी विवादों का निपटारा किया जा रहा है। एमपी सरकार ने वर्ष 2010 मे मध्य प्रदेश परिसर किराएदारी act भी लागू करने का प्रयास किया था लेकिन कबीनेट की मंजूरी न मिल पाने के कारण लागू ना हो सका । केंद्र सरकार ने नए आदर्श किराएदारी अधिनियम के तहत राज्यों को एक माडल एक्ट देने का प्रयास किया है ताकि राज्य इसके अनुसार अपने राज्यों में कानून लागू करें। हलाकी राज्यो के लिए इसे लागू करना बाध्यकारी नहीं है। राज्य सरकार आवश्यक बदलाव या इस कानून को भी लागू कर सकते हैं ।
इस कानून मे किराया न्यायालयों का प्रावधान किया गया है। अगर कोई विवाद होता है तो दोनों पक्ष निराकरण के लिए किराया प्राधिकरण जाएंगे। अपील के लिए किराया न्यायालय, ट्रिबुनल जा सकते है। यह कानून आवासीय व गैर आवासीय परिसरों पर लागू होगा। मकान खाली कराने के लिए मकान मालिक जोर जबरदस्ती नहीं कर सकता कोई भी मकान मालिक किराएदार को जोर जबरदस्ती से नहीं निकाल सकता है। इसके लिए कानूनी प्रक्रिया को फाॅलो करना जरुरी है। मकान मालिक किराएदार को हटाने के लिए तरह से तरीह से परेशान करते हैं कभी पानी बंद कर देना, कभी बिजली सप्लाई बंद कर देना आदि कभी रास्ते में रुकावटें खड़ी करेगा। दोनों पक्षों के मध्य अनुबंध आवश्यक आदर्श किराएदारी अधिनियम के अनुसार किराएदारी अनुबंध भू स्वामी और किराएदार दोनों के द्वारा निष्पादित कराया जाएगा। जिसकी एक प्रति किराएदार व दूसरी मकान मालिक/भू स्वामी के पास होगी। अनुबंध के बिना ना तो कोई परिसर किराए लिया जाएगा और ना ही दिया जाएगा। किराएदारी की अवधि का इस लेख में उल्लेख किया जाएगा।
सिक्युरिटी डिपाजिट के रुप में 2 माह से ज्यादा का किराया नहीं मकान मालिक और किराएदार के बीच अक्सर सिक्योरिटी डिपाॅजिट को लेकर विवाद होते हैं। आदर्श किराएदारी अधिनियम के अनुसार आवासीय परिसर के लिए मकान मालिक एडवांस किराए के रुप में 2 माह से अधिक का किराया राशि नहीं ले सकेगा। गैर आवासीय परिसर के मामलों में एडवांस किराया राशि 6 माह से अधिक नहीं होगी। किराएदारी की सूचना मालिक को किराया प्राधिकारी हो देनी होगी। जिसके बाद प्राधिकारी विशिष्ट पहचान नंबर किराएदार व मकान मालिक को आवंटित करेगा। आदर्श किराएदारी अधिनियम के प्रमुख प्रावधान किराएदारी अवधि के भीतर किराएदारी का नवीनीकरण हो सकेगा। किराएदार किराएदारी वाले स्थान को त्यागने के 1 माह पहले मकान मलोक को सूचना देगा।
किराया अवधि का निर्धारण मालिक व किराएदार की आपसी सहमति से होगा। मकान मालिक मनमानी शर्तें नहीं थोप सकेंगे। अब तक जो भी किराया अनुबांध होते थे मकान मालिक मनमाने नियम डाल देते थे। किराएदार किराए वाले परिसर या किसी भाग को उप किराए पर नहीं देगा। विवादित मामलों का निपटारा किराया प्राधिकरण में होगा। प्राधिकरण के समक्ष किराया पुनरीक्षित या नियत किया जाएगा। किराया प्राधिकरण में अधिकारी नियुक्त करने की शक्ति राज्य सरकार को है। डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी को प्राधिकारी नियुक्त किया जा सकता है। अंतिम आदेशों का निष्पादन कराने के लिए स्थानीय पुलिस की सहायता किराया प्राधिकरण के अधिकारी ले सकेंगे। किराया प्राधिकरण की अधिकारिता किराएदारी वाले करार तक सीमित होगी। स्वामित्व और हक के प्रश्न पर नहीं। मकान मालिक/भू स्वामी या किराएदार की अनुबंध निष्पादन के बाद मृत्यु हो जाती है तो दोनों के जो वारिस होंगे उन पर अनुबंध की बाध्यताएं लागू होंगी। अनुबंध के अनुसार तय अवधि के भीतर किराएदार किराया देगा।
मकान मालिक किराएदार को किराया प्राप्ती की रसीद देगा। जहां इलेक्टानिक माध्यम से भुगतान होने की स्थिति में बैंक अभिस्वीकृति भुगतान का सबूत होगी। विवाद की स्थिति में जब मकान मालिक/भू स्वामी किराया स्वीकार नहीं करता है तो किराएदार किराया राशि का भुगतान डाक, मनीआर्डर या किसी अन्य तरीके से करेगा लगातार दो माह तक किराया स्वीकार नहीं करता है तो किराएदार किराए की राशि किराया प्राधिकरण रेंट कंट्रोल अधिकारी के यहां जमा कर सकेगा। किराएदारी वाला कोई ऐसा परिसर जोकि बिना मरम्मत के निवास योग्य नहीं है। और भू स्वामी/मकान मालिक मरम्मत नहीं कराने दे रहा हो ऐसी स्थिति में किराएदार 15 दिन का नोटिस देकर परिसर खाली कर सकता है। यदि कोई किराएदारी वाला परिसर किसी अग्निकांड, बाढ़, चक्रवात या प्राकृतिक आपदा के कारण निवास योग्य नहीं रहता या किसी घटना के कारण किराएदार वहां नहीं रह पा रहा हो तो ऐसी स्थिति में उस परिसर का किराया तब तक वसूल नहीं किया जाएगा जब तक कि मकान मालिक उसे रहने योग्य ना बना दे। यदि मकान मालिक/भू स्वामी परिसर को रहने योग्य नहीं बनाता है तो किराएदार सुरक्षा निधि और अग्रिम किराया राशि वापस ले सकेगा। किराएदार का दायित्व है कि किराएदारी वाले स्थान को साआशय या लापरवाही पूर्वक क्षतिग्रस्त ना करे। किराएदार, किसी भी क्षति के बारे में लिखित में सूचित करेगा। किराएदार, किराएदारी वाले स्थान की उचित देखभाल करेगा।
मकान मालिक आवश्यक आपूर्ति बाधित नहीं कर सकेगा :-
कोई भी मकान मालिक/भू स्वामी किराएदारी वाले परिसर में कोई आवश्यक आपूर्ति या सेवा नहीं रोकेगा।आवश्यक सेवाओं के अंतर्गत बिजली, पानी, कुकिंग गैस पाइप, लिफ्ट, सीढ़ियों, साफ-सफाई, संचार माध्यम, सुरक्षा संबंधी उपकरण एवं सुविधाएं निरंतर मिलना चाहिए। शिकायत किराया प्राधिकरण में की जा सकती है। किराया प्राधिकारण यथास्थिति या तत्काल आपूर्ति प्रारंभ करने के आदेश प्राधिकरण दे सकता है। किराएदार से किराएदारी रहने के दौरान परिसर खाली नहीं करवाया जाएगा। किराया प्राधिकरण मामले की जांच करेगा। एक माह के भीतर जांच पूर्ण करेगा। मरम्मत की जिम्मेदारी मकान मालिक की,
1. मकान की संरचनात्मक मरम्मतें,
2. दरवाजों और खिड़कियों की पेंटिंग, दीवारों की पुताई
3. जब आवश्यक हो नलों के पाइप की मरम्मत और बदलना
4. जब आवश्यक हो आंतरिक और बाहरी इलेक्टानिक वायरिंग का रखरखाव ।
किराएदार द्वारा की जाने वाली मरम्मतें:-
1. नल आदि को बदलना
2. शौचालय की मरम्मत
3. वाश बेसिन की मरम्मत
4. गीजर की मरम्मत
5. साकेट और स्विचों की
मरम्मत संपत्ति प्रबंधक/property manager:-
यदि मकान मालिक/भू स्वामी संपत्ति प्रबंधक नियुक्त करता है तो किराएदार को निम्न सूचना देगा
1. संपत्ति प्रबंधक का नाम
2. संपत्ति प्रबंधक को अधिकृत किया गया
इसका सबूत संपत्ति प्रबंधक के कर्तव्य :-
1. रसीद देकर किराया संग्रहित करना
2. भू स्वामी की ओर से आवश्यक मरम्मत
3. समय समय पर परिसर का निरीक्षण करना
4. परिसर का उचित रख रखाव
5. किराएदारी का नवीनीकरण
6. किराएदार व मकान मालिक के बीच विवाद का निपटारा किराएदारी से निष्कासन के आधार लगातार दो माह तक किराए राशि व अन्य प्रभारों का भुगतान ना होने की दशा में मकान मालिक नोटिस जारी करके किराएदारी वाला स्थान वैधानिक प्रक्रियानुसार खाली करवा सकेगा। किराएदारी वाले परिसर का दुरुपयोग करने की दशा में । तोड़-फोड़, उपयोग परिवर्तन आदि के मामलों में भी किराएदार के विरुद्घ शिकायत हो सकती है। मकान मालिक/ भू स्वामी की मृत्यु की स्थिति में यदि परिसर की उसके उत्तराधिकारियों को वास्तविक रुप से आवश्यकता है तो ऐसी स्थिति में कब्जा खाली कराने के लिए आवेदन किया जा सकता है।
दोगुना किराया वसूली का प्रावधान :-
किराएदारी अवधि समाप्त होने के 2 माह बाद भी यदि किराएदार परिसर खाली नहीं करता है तो मकान मालिक को बढ़ा हुआ किराया लेने का अधिकार होगा। पहले दो महीने निर्धारित किराया राशि के दो गुनी राशि और इसके बाद भी यदि मकान खाली नहीं होता है तो 4 गुनी किराया राशि वसूली का अधिकारी मकान मालिक होगा।