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मदर्स डे कब है? कहां, कैसे और क्यों मनाया जाता है, जानिए पूरी कहानी

Neemuch headlines May 14, 2023, 12:17 pm Technology

इस साल मदर्स-डे 14 मई 2023, रविवार के दिन यानी आज मनाया जाएगा।

अमेरिका, भारत, न्यूजीलैं, कनाडा और कई देशों में मदर्स डे के पर्व को मई के दूसरे रविवार के दिन मनाया जाता है सबकुछ तो मां का ही दिया होता है, स्तनपान कराने से लेकर ये शरीर, परिवार, सांसे और जीवन,अब बला इसका कर्ज हम कैसे उतार सकते हैं' लेकिन फिर भी साल में एक दिन मदर्स डे के रूप में हम मना सकते हैं।

इस साल यह खास दिन 14 मई को मनाया जा रहा है। जिसे मां के महत्व को सम्मान देने के लिए सेलिब्रेट किया जाएगा। एक मां का आंचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। मां का प्यार अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि मां अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। एक मां का हमारे जीवन में बहुत बड़ा रोल होता है और बिना मां तो यह दुनिया अधूरी सी हो जाती है। हम अगर ऐसे मानें कि इस दिन को मनाने का उद्देश्य मां के प्रति सम्मान और प्यार को व्यक्त करना है, तो ये गलत नहीं होगा। वैसे तो हर साल अलग-अलग देशों में मदर्स डे कई तरह से सेलिब्रेट किया जाता है।

लेकिन पहला मदर्स डे कब मनाया गया था' चलिए जानते हैं कुछ खास बातें आखिर शुरुआत कहां से हुई:- इसके लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा, बात 19वीं शताब्दी के दौरान की है, अमेरिका सिविल वॉर से जल रहा था। इस दौरान कुछ वुमेन पीस ग्रुप्स ने शांति के पक्ष में और युद्ध के खिलाफ छुट्टियों और रेगुलर एक्टिविटीज को स्थापित करने की कोशिश की।

इसकी शुरुआत उन माताओं के ग्रुप्स की मीटिंग के साथ हुई, जिनके बेटे अमेरिकन सिविल वॉर में विपरीत पक्षों से लड़े थे या मारे गए थे। साल 1868 में एन जार्विस ने मदर्स फ्रेंडशिप डे की स्थापना के लिए एक कमेटी बनाई, जिसका उद्देश्य सिविल वॉर के दौरान विभाजित परिवारों को फिर से जोड़ना था। एक और दिलचस्प कहानी जानिए दुनिया भर में मदर्स डे को लोकप्रिय बनाने और उसको मनाने की परंपरा शुरू करने का श्रेय अमेरिका की ऐना एम.जारविस को भी जाता है। ऐना का जन्म अमेरिका के वेस्ट वर्जिनिया में हुआ था। उनकी मां अन्ना रीस जारविस 2 दशकों तक एक चर्च में संडे स्कूल टीचर रहीं। एक दिन की बात है। उनकी मां संडे स्कूल सेशन के दौरान बाइबिल में मां पर एक पाठ के बारे में बता रही थीं। उस समय जारविस 12 साल की थीं। पाठ के दौरान उनकी मां ने एक इच्छा का इजहार किया। उन्होंने अपनी मां को कहते सुना, एक दिन आएगा जब कई मां और मातृत्व को मनाने के लिए एक दिन समर्पित करेगा। उस समय तक सिर्फ पुरुषों को समर्पित दिन होते थे जिनको मनाया जाता था। महिलाओं के लिए कोई दिन नहीं होता था।

मां के मौत के बाद अभियान चलाया जब ऐना की मां का निधन हो गया तो उसके दो सालों बाद, ऐना और उनकी दोस्तों ने एक अभियान चलाया। उन्होंने मदर्स डे की राष्ट्रीय छुट्टी के लिए लोगों का समर्थन हासिल किया। उन्होंने देखा था कि आमतौर पर बच्चे अपनी मां के योगदान को भुला देते हैं। वह चाहती थीं कि जब मां जिंदा हो तो बच्चे उनका सम्मान करें और उनके योगदानों की सराहना करें। उनको उम्मीद थी कि जब इस दिन को मदर्स डे के तौर पर मनाया जाएगा तो मां और पूरे परिवार का आपस में संबंध मजबूत होगा। 14 मई, 1914 को संयुक्त राज्य अमेरिका की संसद ने मदर्स डे घोषित किया। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति वूड्रो विल्सन ने इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया।

ऐना फिजूलखर्ची के खिलाफ थीं ऐना मदर्स डे के बाजारीकरण के खिलाफ थीं। मदर्स डे के मौके पर फिजूलखर्ची जैसे मां को महंगा गिफ्ट देना और अन्य खर्च को वह गलत मानती थीं। उनका मानना था कि मां को इस मौके पर फूल दिया जाना चाहिए। बाद में ऐना मदर्स डे को मुनाफाखोरी और कमाई का जरिया बनाने वालों के खिलाफ अभियान चलाने लगी थीं। अपने अंतिम दिनों में उन्होंने मदर्स डे को कैलेंडर से हटवाने की मुहिम चलाई। 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल ने कहा- बीजेपी की कोशिश कर्नाटक में विफल इतिहास में मिलती हैं मदर्स डे की जड़ें मां की ममता का सम्मान करने के लिए प्राचीन ग्रीस और रोम में भी एक दिन समर्पित था। क्योंकि वे देवियों को मां मानते थे और उनके सम्मान में उत्सवों का आयोजन करते थे। लेकिन आधुनिक मदर्स डे की जड़ें 'मदरिंग संडे' में मिलती है। ईसाई धर्म के लोगों द्वारा इंग्लैंड और यूरोप के कई देशों में इसे मनाया जाता था। श्रद्धालु लेंट सीजन के चौथे रविवार को मुख्य चर्च में प्रार्थना के लिए जमा होते थे। मुख्य चर्च को मदर चर्च के नाम से जाना जाता था।

वक्त के साथ-साथ इसे मां को सम्मानित करने के लिए मनाया जाने लगा। बच्चे अपनी मां को प्यार और सम्मान के प्रतीक के तौर पर फूल और अन्य चीजें भेंट किया करते थे।

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