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शक्तिपीठ भी है देवघर का बैद्यनाथ मंदिर, यहां गिरा था माता सती का हृदय; जानें बाबाधाम से जुड़ी खास बातें

Neemuch Headlines February 18, 2023, 2:33 pm Technology

देवघर का बैद्यनाथ धाम द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक है. इस द्वादश ज्योतिर्लिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह विश्व का इकलौता शिव मंदिर है, जहां शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं. इसलिए इसे शक्तिपीठ भी कहते हैं।

पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि यहां माता सती का ह्रदय कट कर गिरा था इसलिए इसे हृदय पीठ भी कहते हैं। मान्यता है कि बाबा भोले के भक्त जब सावन में बाबा बैजनाथ मंदिर में कांवर लेकर आते हैं तो उन्हें शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है. इसलिए द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैजनाथ के मंदिर को शक्तिपीठ भी कहा जाता है. सावन के महीने में यहां लाखों श्रद्धालु भगवान भोले शंकर को जल चढ़ने के लिए पहुंचते हैं।

जानें बाबाधाम की पौराणिक मान्यताए :-

दरअसल वेदों में वर्णित है कि राजा दक्ष के महायज्ञ में शिव को नहीं बुलाए जाने पर माता सती रुष्ट हो गई थीं और अग्निकुंड में खुद को समाहित कर लिया था जिसके बाद भगवान शिव क्रोधित हो गए थे और माता सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर लेकर तांडव करने लगे थे. शिव के इस क्रोध से प्रलय आ जाता ऐसे में भगवान विष्णु के चक्र से सती के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए गए जहां जहां भी शरीर का हिस्सा गिरा व शक्तिपीठ कहलाया. देवघर बैद्यनाथ धाम में माता का हृदय कटकर गिरा था इसलिए इसे शक्तिपीठ भी कहते हैं।

शिव और शक्ति एक साथ विराजमान :-

बाबा बैद्यनाथ मंदिर विश्व का एकमात्र शिवालय है जहां पर शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं. यही कारण है कि इसे शक्ति पीठ और हृदय पीठ भी कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस नगरी में आने से शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है. पुरोहित बताते हैं कि यहां पहले शक्ति स्थापित हुई उसके बाद शिवलिंग की स्थापना हुई है. भगवान भोले का शिवलिंग सती के ऊपर स्थित है. इसलिए इसे शिव और शक्ति के मिलन स्थल के रूप में भी जाना जाता है।

मनोकामना लिंग के नाम से भी प्रसिद्ध :-

यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. यहां आने वाले भक्तों को शिव और शक्ति दोनों के आशीर्वाद मिलते हैं. यही कारण है कि इसे मनोकामना लिंग भी कहते हैं. यहां सच्चे मन और श्रद्धा से मांगी गई सभी मनौति पूरी हो जाती है. श्रद्धालु बताते हैं कि यह विश्व का इकलौता मंदिर है जहां शिव और शक्ति है एक साथ विराजमान हैं. इसलिए श्रद्धालु जब बाबा धाम आते हैं तो जल का एक पात्र शिवलिंग पर अर्पित करते हैं और दूसरा पार्वती मंदिर में अर्पित करते हैं। श्रद्धालु बताते हैं कि यहां मांगी गई सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

सावन माह में लाखों लाख श्रद्धालु उत्तरवाहिनी गंगा से जल भरकर पांव पैदल यात्रा करें बाबा बैजनाथ नगरी पहुंचते हैं जहां बाबा बैजनाथ पर जल अर्पण करते हैं. इस बार सावन के पहले दिन मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ देखी गई।

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