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आज मनाई जा रही है मौनी अमावस्या, जानिए स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

Neemuch headline January 21, 2023, 8:54 am Technology

वर्ष 2023 की पहली शनिश्चरी अमावस्या आज 21 जनवरी को है. इस दिन दान का विशेष महत्व है. इस दिन अपनी राशि के अनुसार दान करने से हर कामना पूरी होने की मान्यता है।

मौनी अमावस्या के दिन किए जाने वाले धार्मिक कर्म :-

आज के दिन प्रातःकाल स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करें. अगर संभव ना हो ता नहाने के पानी में थोड़ा से गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें. इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए.

आज के दिन गरीब और भूखे व्यक्ति को भोजन कराना चाहिए. आज के दिन दान का भी विशेष महत्व होता है. अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गाय के लिए भोजन का दान करना चाहिए. इस दिन पितरों का तर्पण जरुर करें. इससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

आज मौनी अमावस्या मनाई जा रही है. इस दिन गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान और दान का विशेष महत्व है. माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है.

आज स्नान का शुभ मुहूर्त:-

सुबह 08.34 मिनट से लेकर सुबह 09.53 मिनट तक है।

मौनी अमावस्या पर शनिवार को बने हैं चार राजयोग :-

माघ अमावस्या 21 जनवरी 2023 शनिवार को है.

इसे मौनी अमावस्या, माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. शनिवार होने से ये साल की पहली शनिश्चरी अमावस्या होगी. मौनी अमावस्या पर शनिवार का दिन और चार राजयोग बनने से इसका महत्व कई गुना बढ़ गया है.

आइए जानते हैं मौनी अमावस्या का मुहूर्त, शुभ योग, पूजा विधि:-

मौनी अमावस्या 2023 मुहूर्त :-

माघ अमावस्या तिथि शुरू - 21 जनवरी 2023, सुबह 06.17 माघ अमावस्या

तिथि समाप्त - 22 जनवरी 2023, सुबह 02.22 स्नान मुहूर्त - सुबह 08.34 - सुबह 09.53 (21 जनवरी 2023) ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05.30 - 0.623 अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:17 - दोपहर 01:00

मौनी अमावस्या पर स्नान मंत्र :-

स्नान के वक्त ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः

इस खास मंत्र का जाप करें. मान्यता है इससे व्यक्ति स्वर्ग में स्नान प्राप्त करता है. ये मंत्र हर कार्य में सफलता प्रदान करता है. शनिश्चरी अमावस्या के संयोग में गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता है।

अमावस्या स्नान मंत्र :-

गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।

नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।

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