हाल ही में हमारे क्षेत्र में एक मेडिकल नेगलिजेंस का मामला आया है जिसमें एक पैथोलॉजी लैब द्वारा गलत रिपोर्ट जारी की गई बाद में पीड़ित व्यक्ति ने किसी दूसरी लैब में जांच करवाई तो सही रिपोर्ट प्राप्त हुई ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को क्या उपचार प्राप्त हैं
इस पर कानून क्या कहता है:-
चिकित्सा क्षेत्र एक विशिष्ट किस्म का क्षेत्र है जिसमें सीमित लोगों का ही हस्तक्षेप है । संपूर्ण मानव जाति चिकित्सक को ईश्वर के रूप में मानती है क्योंकि वह ईश्वर के ठीक पहले की भूमिका निभाता है किंतु वर्तमान समय में चिकित्सा व्यवसाय अत्यंत संदिग्ध हो चुका है कई प्रकार की शिकायतें देखने सुनने में आती हैं। आज आम आदमी अस्पताल और डॉक्टर के नाम से डरता है। चिकित्सा क्षेत्र में पैथोलॉजी का विशेष महत्व है। प्रायः डॉक्टर किसी रोगी के रोग पर अपना ओपिनियन देने के पूर्व आवश्यक जांच करवाते हैं जो सिद्धांतिक तौर पर सही भी है। इसके बाद रोगी पर होने वाले उपचार की सारी प्रक्रियाएं पैथोलॉजी की जांच रिपोर्ट पर निर्भर हो जाती है। यदि जांच में किसी प्रकार की कोई कमी या त्रुटि हो जाती है तो डॉक्टर चाहे कितना भी अच्छा हो उसके द्वारा प्रस्तावित उपचार प्रभावित हो जाता है और उसका सीधा असर रोगी के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इस प्रकार चिकित्सकीय जांच एजेंसियों का चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान है। मेडिकल जांच एजेंसी के लिए संचालक के पास सीएमएलटी, डीएमएलटी, या बीएससी एमएलटी की योग्यता होना चाहिए।क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 2010 के अंतर्गत पैथोलॉजी लैब का क्षेत्रीय सीएमओ कार्यालय में रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है, शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अंतर्गत गुमास्ता लाइसेंस लेना भी अनिवार्य है, राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है, स्थानीय जैव अपशिष्ट निपटान इकाइयों मैं भी पंजीकरण आवश्यक है संक्रमित अपशिष्ट के निपटान के लिए भी पंजीकरण आवश्यक है। किंतु प्रायः देखा गया है कि मात्र सीएमओ कार्यालय में पंजीकरण के पश्चात ही पैथोलॉजी लैब संचालित कर दी जाती हैं सुरक्षा वह स्वच्छता मानकों का पालन न करते हुए कई पैथोलॉजी लैब गलत जांच करती है ,दूषित उपकरणों और वटवातन से जांच भी दूषित हो जाती है। कुछ मामलों में तो यह पाया गया कि डॉक्टरों और पैथोलॉजी लैब के मध्य कमीशन के संबंध होते हैं और मरीजों की जांच भी नहीं की जाती है नकली जांच रिपोर्ट दे दी जाती है जो सिर्फ पैसे हड़पने का जरिया होती है। पैथोलॉजी संबंधित कई स्कैंडल आए दिन उजागर होते रहते हैं किंतु लचर कानूनी प्रक्रिया और भ्रष्ट अधिकारियों के कारण यह कारोबार दिनोंदिन फल फूल रहा है। किसी पैथोलॉजी के द्वारा गलत रिपोर्ट देने या स्वच्छता और स्वास्थ्य मानकों का पालन न करने की दशा में पीड़ित व्यक्ति सबसे पहले तो वो चीफ मेडिकल ऑफिसर अर्थात सीएमओ को लिखित शिकायत कर सकता है, यदि पैथोलॉजी द्वारा जानबूझकर कोई आपराधिक कृत्य किया है जैसे कोई संक्रमित सुई लगाई हो या जानबूझकर किसी संक्रमण से संक्रमित कर दिया हो तो भारतीय दंड विधान की धारा 338,304 ए के अंतर्गत सजा हो सकती है । इस प्रकार हम उक्त धाराओं में पुलिस को भी शिकायत कर सकते हैं।
यदि गलत जांच रिपोर्ट के आधार पर रोगी को होने वाली प्रत्येक हानि की जिम्मेदारी पैथोलॉजी लैब की होती है ऐसे में पीड़ित व्यक्ति उपभोक्ता फोरम द्वार पश्चातवर्ती समस्त इलाज का सारा खर्च पैथोलॉजी लैब से वसूल कर सकता है साथ ही इस दौरान उत्पन्न मानसिक त्रास के एवज में भी राशि वसूल कर सकता है इसके लिए पीड़ित व्यक्ति को उपभोक्ता फोरम में सेवा में कमी के आधार पर परिवाद प्रस्तुत करना होता है। इसके अलावा यदि उसे उपभोक्ता फोरम द्वारा सहायता प्राप्त नहीं हो पाई है तो वह अपकृत्य विधि के अंतर्गत दीवानी न्यायालय में दीवानी दावा लगाकर आर्थिक हानि की वसूली कर सकता है। पैथोलॉजी लैब द्वारा गलत जांच रिपोर्ट देने पर सीएमओ उसका रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर सकता है उसके विरुद्ध जांच बिठा सकता है तथा उसके विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाईया कर सकता है। पीड़ित व्यक्ति को चाहिए कि ऐसी नकली जांच रिपोर्ट को संभाल कर रखें तथा इस जांच रिपोर्ट के आधार पर हुई स्वास्थ संबंधी हानि के लिए किसी डॉक्टर की ओपिनियन या सर्टिफिकेट प्राप्त करें क्योंकि आगे की कार्यवाहीयो में किसी डॉक्टर द्वारा दिया गया ओपिनियन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस ओपिनीयन के आधार पर ही पैथोलॉजी रिपोर्ट के विरुद्ध कार्यवाही की जा सकती हैं। सजग रहें स्वस्थ रहे।