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डिजिटल इंडिया में ऑनलाइन शॉपिंग वरदान या अभिशाप..?, जानिये फोरेंसिक एक्सपर्ट श्रीमती विजया तिवारी से

Neemuch Headlines November 23, 2022, 7:14 am Technology

आज का युग इंटरनेट का युग है अगर हम डिजिटल इंडिया की बात करें तो यह कहना अतिशयोक्ति ना होगा कि ऑनलाइन शॉपिंग ने बाजार का चेहरा बदल दिया है।

आज के समय ऑनलाइन शॉपिंग काफी चलन मे है क्योंकि ये आसान और सरल है जो वस्तु हमें मार्केट मे 10 चक्कर लगाने के बावजूद नहीं मिलती वो ऑनलाइन कुछ मिनट मे मिल जाती है आज ऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम से कोई भी वस्तु खरीद सकते है आकर्षक ऑफर एवं दिन प्रतिदिन नई स्कीमों के कारण आज के समय में हर कोई त्योहारों के सीजन में ऑनलाइन खरीददारी को ही प्राथमिकता देता है.

दरअसल ऑनलाइन खरीददारी को लेकर तरह-तरह के ऑफर दिखाए जाते हैं, जो कि काफी आकर्षक होते हैं. हालांकि कई बार यही ऑफर लोगों को ठगी का शिकार बना देते हैं. उसमें भी अगर कैटगरी वाइज बात करें तो महिलाएं ज्यादा ठगी का शिकार होती हैं. इसी तरह का नजारा मेरठ में भी देखने को मिला है।

लखनऊ महानगर निवासी एक युवती सुषमा द्वारा ऑनलाइन माध्यम से मेकअप किट का ऑर्डर किया था. जैसे ही उन्होंने प्रक्रिया पूरी की उसके बाद उनके अकाउंट से 85000 रुपए कट गए. यह लखनऊ का कोई एक मामला नहीं है बल्कि इसी तरह के कई मामले देखने को मिल रहे हैं।

यह भी जाने :-

मैं आपको यह बताना चाहूंगी कि जैसे ही इस तरह के ऑफर लिंक को व्हाट्सएप के माध्यम से लोग खोलते हैं तो उनका पूरा विवरण लिंक के माध्यम से साइबर ठग के पास पहुंच जाता है.

इसके बाद वह आसानी से उनके खाते से पैसे को उड़ा देते हैं. ऐसे में यह आवश्यक है कि हम सावधान रहें सतर्क रहें एवं आकर्षक ऑफर को देखकर किसी भी अज्ञात लिंक को ना तो आगे फॉरवर्ड करें नाही क्लिक करें।

ठगी का शिकार होने पर क्या करें :-

अगर आप किसी भी तरह के साइबर क्राइम का शिकार होते हैं तो www.cybercrime.gov.in लिंक पर जाकर अपनी शिकायत रजिस्टर करा सकते हैं. पुलिस स्टेशन में जाकर आप साइबर सेल में भी अपने खिलाफ हुई धोखाधड़ी के बारे में जानकारी दे सकते हैं.

साइबर अपराधों से जुड़े मामलों की शिकायत हेल्पलाइन नंबर 155260 पर की जा सकती है. बैंक अकाउंट से जुड़े फ्रॉड के मामले भी यहीं दर्ज कराए जा सकते हैं।

जाने नियम व प्रावधान :-

साइबर क्राइम से जुड़े ज्यादातर मामले IT एक्ट 2000 के तहत चलते हैं. अपराधियों के खिलाफ धारा 43, 65, 66 और 67 के तहत केस चलते हैं. IPC की धारा 420, 120 बी और 406 के तहत भी केस चल सकता है।

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