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नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित, जानिए पूजा विधि, आरती, मंत्र और प्रिय भोग

Neemuch Headlines October 1, 2022, 9:36 am Technology

आज 01अक्टूबर को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानी शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के छठें स्वरूप देवी कात्यायनी की पूजा करने का विधान है। कहा जाता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी का स्वरूप चमकीला और तेजमय है। इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में रहता है। वहीं नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। मां कात्यायनी के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार धारण करती हैं व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित रहता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी जातक देवी कात्यायनी की पूजा पूरी श्रद्धा से करता है, उसे परम पद की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी की पूजा विधि :- नवरात्रि के छठे दिन इस दिन प्रातः काल में स्नान आदि से निवृत्त होकर मां का गंगाजल से आचमन करें। फिर देवी कात्यायनी का ध्यान करते हुए उनके समक्ष धूप दीप प्रज्ज्वलित करें। रोली से मां का तिलक करें अक्षत अर्पित कर पूजन करें। इस दिन मां कात्यायानी को गुड़हल या लाल रंग का फूल चढ़ाना चाहिए। अंत में मां कात्यायनी की आरती करें और क्षमायाचना करें।

मां कात्यायनी प्रिय भोग :-

इस दिन मां कात्यायनी को पूजन में शहद का को भोग लगाना चाहिए। इससे मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।

मां कात्यायनी आराधना मंत्र :-

1.या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

2.चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना|

कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि||

मांकात्यायनी की आरती :-

जय-जयअम्बेजय कात्यायनी

जय जगमाता जग की महारानी

बैजनाथ स्थान तुम्हारा

वहा वरदाती नाम पुकारा कई नाम है कई धाम है

यह स्थान भी तो सुखधाम

है हर मंदिर में

ज्योत तुम्हारी कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

हर जगह उत्सव होते रहते हर मंदिर में भगत हैं कहते

कत्यानी रक्षक काया की

ग्रंथि काटे मोह माया की

झूठे मोह से छुडाने वाली

अपना नाम जपाने वाली

बृहस्पतिवार को पूजा करिए

ध्यान कात्यायनी का धरिए

हर संकट को दूर करेगी भंडारे भरपूर करेगी

जो भी मां को 'चमन' पुकारे कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

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