आज 7 अप्रैल, 2022 को नवरात्रि का छठा दिन है। इस साल 2 अप्रैल 2022 से नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हुई।
यह पर्व नौ दिनों तक बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के छठे दिन मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा- अर्चना की जाती है। मां कात्यायनी का स्वरूप अंत्यत भव्य और चमकीला है। मां की चार भुजाएं हैं और मां का वाहन सिंह है।
आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व, भोग और आरती
मां कात्यायनी पूजा विधि :-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और फिर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं। मां को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम लगाएं।
मां को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं।
मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं। मां कात्यायनी का अधिक से अधिक ध्यान करें। मां की आरती भी करें।
मां कात्यायनी की पूजा का महत्व :-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा- अर्चना करने से विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं। मां कात्यायनी की पूजा करने से कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है।
मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी की विधि- विधान से पूजा- अर्चना करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है। मां कात्यायनी की कृपा से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा शाम के समय गोधुलि बेला में करनी चाहिए।
शुभ मुहूर्त :-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:34 ए एम से 05:20 ए एम अभिजित मुहूर्त- कोई नहीं विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:20 पी एम गोधूलि मुहूर्त- 06:29 पी एम से 06:53 पी एम अमृत काल- 04:06 पी एम से 05:53 पी एम निशिता मुहूर्त- 12:00 ए एम, अप्रैल 07 से 12:46 ए एम, अप्रैल 07 सर्वार्थ सिद्धि योग-
पूरे दिन मां कात्यायनी का मंत्र-
ॐ देवी कात्यायन्यै नम:॥
मां कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र :-
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
मां कात्यायनी स्तुति मंत्र :
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र :- वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥