बसंत पंचमी के इस ख़ास दिन को श्री नामदेव छीपा समाज बड़े ही हर्षोल्लास से मनाता है तथा स्थानीय स्तर पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं शायद नई पीढ़ी को इस बात की जानकारी नहीं होगी कि बसंत पंचमी को श्री नामदेव ज्ञानोदय दिवस क्यों कहा जाता है ? इस संबंध में जो जानकारी उपलब्ध है वह इस प्रकार है।
एक समय की बात है कि संत ज्ञानेश्वर अपनी संतमंडली के साथ जिसमें संत नामदेव, मुक्ताबाई, सोपानदेव, नरहरी सुनार, चोखा मेला एवं सांवता माली थे, तीर्थ यात्रा पर निकले रास्ते में जो भी गांव पड़ता था वे वहाँ रुक कर भगवत चर्चा किया करते थे एक दिन वे सभी एक ऐसे गांव में पहुंचे जहां एक कुम्हार बर्तन गढ़ रहा था। वह गांव भगवान के भक्त गोरा कुम्हार का था। तपस्विनी मुक्ताबाई ने मजाक में गोरा कुम्हार से उस की थापी की ओर इशारा करते हुए पूछा, बाबा इससे क्या करते हो ? गोरा कुम्हार ने उत्तर दिया कि " इससे मैं यह पता कर लेता हूं कि घड़ा कच्चा है या पका हुआ" इस पर मुक्ताबाई ने फिर मुस्कुरा कर पूछा क्या इससे हमारी मंडली में से कच्चे-पक्के का पता किया जा सकता है? गोरा कुम्हार ने उत्तर दिया " हां"|
तपस्विनी मुक्ताबाई के कहने पर गौरा कुम्हार ने सभी संतो के सिर पर यापी मारना शुरू किया। श्री नामदेव जी के अतिरिक्त सभी संतो ने शांति से गोरा कुम्हार की थापी की चोट सहन कर ली परंतु नामदेवजी बड़े नाराज हुए अंदर ही अंदर गुस्से से जले जा रहे थे। उन्हें गोरा कुम्हार की इस हरकत से अपमान महसूस हो रहा था गोरा कुम्हार ने कहा ने कि सभी लोग पक्के हैं परंतु नामदेव अभी कच्चा है।
यह सुनकर नामदेव जी तुरंत वहां से विट्ठल भगवान के मंदिर में गए तथा उनसे शिकायत करने लगे कि भगवान, आप मेरे को कई बार दर्शन दे चुके हो तो फिर मैं कच्चा कैसे हुआ ? भगवान ने कहा, नामदेव यह सच है कि तू मेरा पक्का भक्त है और मैं तेरे लिए सदा सब कुछ करने के लिए तैयार रहता हूं। अभी तुझ में से मेरे तेरे का भेद नहीं मिटने के कारण तू अभी कच्चा ही है। यह भेद बिना गुरु की शरण में जाए मिट नहीं सकता इसलिए तुम नजदीक के किसी शिवालय में जाओ वहां जो मिल जाए उसे गुरु बना लो नामदेव जी जब शिवालय में गए तो एक वृद्ध व्यक्ति शिवजी की पिंडी पर पैर रखकर सो रहा था।
नामदेव जी को यह देख कर बड़ी अश्रद्धा हुई। उन्होंने सोचा क्या ऐसे ही व्यक्ति को गुरु बनाने की भगवान ने सलाह दी है? नामदेव जी से रहा नहीं गया और उन्होंने उस वृद्ध व्यक्ति से पूछा कि बाबा शिवजी की पिंडी पर पैर रखते हुए शर्म नहीं आती ? वृद्ध व्यक्ति ने कहा, बेटा, मैं बुड्ढा हूं शरीर जर्जर हो गया है, पैरों को आराम देने के लिए मुझे यही स्थान मिला, अब तू इन पैरों को उठाकर उस स्थान पर रख दे जहां पर शिवजी की पिंडी ना हो।
नामदेव जी ने उस वृद्ध व्यक्ति के पैरों को उठाकर अन्यत्र रखने का प्रयास किया परंतु जहां भी रखने की कोशिश की, वहां शिवजी की पिंडी थी अब नामदेव जी समझ गए यह वृद्ध व्यक्ति कोई पहुंचे हुए संत हैं, उन्होंने उनके चरण पकड़ लिए और गुरु बना लिया वह व्यक्ति विठोबा खेचर थे जिन्होंने नामदेव जी को अद्वैत का बोध कराया।
अगले दिन भगवान ने उस संत मंडली में नामदेव जी को लक्ष्य करते हुए कहा कि अब नामदेव भी पक्का घड़ा हो गया है। ऐसा कहा जाता है कि विठोबा खेचर ने नामदेव जी को बसंत पंचमी के दिन यह दीक्षा दी थी इसलिए बसंत पंचमी का दिन छीपा समाज द्वारा संत नामदेव ज्ञानोदय दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
आप सभी को नीमच हेडलाइंस परिवार की और से बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये। जय श्री नामदेव।