नीमच। श्रीमति सुषमा त्रिपाठी, न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी, नीमच द्वारा लापरवाही पूर्वक ओवरटेक कर टक्कर मारकर एक की मृत्यु व दो को घायल करने वाले टवेरा चालक आरोपी ड्राईवर राधेश्याम पिता बगदीराम बलाई, उम्र- 32 वर्ष, निवासी ग्राम उंटवास, थाना इंगोरिया, जिला उज्जैन को धारा 304 ए, 337, 279 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंर्तगत 2 वर्ष के सश्रम कारावास व कुल 2500 रू जुमाने से दण्डित किया गया।
चंद्रकांत नाफडे, एडीपीओ द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि घटना दिनांक 06.03.2014 मध्य रात्रि के लगभग 1:30 बजे जेतपुरा हाईवे पेट्रोल पम्प के सामने, नीमच की हैं। आहतगण उनकी इंडिगो कार से झाबूआ से अजमेर जा रहे थे, जैसे ही वह जेतपुरा हाईवे पेट्रोल पम्प के सामने से गुजर रहे थे उसी दौरान आरोपी ड्राईवर राधेश्याम द्वारा टवेरा गाड़ी को तेजगति से लापरवाहीपूर्वक चलाते हुए ओवरटेक किये जाने के दौरान पीछे से आहतगण की गाडी को टक्कर मार दी, जिस कारण हमीद खां, मोईनुद्दीन व वाहिउद्दीन को चोटे आई व उन्हें एम्बुलंस से अस्पताल पहुचाया गया, बाद में ईलाज के दौरान वाहिउद्दीन की मृत्यु हो गई।
आहतगण द्वारा थाना नीमच सिटी में रिपोर्ट लिखाई गई, जिस पर से अपराध क्रमांक 114/14 पंजीबद्ध किया गया। विवेचना के दौरान आरोपी का पता लगाकर उसको गिरफ्तार कर, गाड़ी जप्तकर शेष विवेचना पूर्णकर अभियोग पत्र आरोपी के विरूद्ध धारा 304 ए, 337, 279 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत नीमच न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से न्यायालय में आहतगण सहित सभी आवश्यक गवाहों के बयान कराकर अपराध को प्रमाणित कराते हुए आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया।
जिससे सहमत होकर माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को वहिउद्दीन की मृत्यु कारित करने हेतु धारा 304ए भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंर्तगत 02 वर्ष के सश्रम कारावास व 1000 रू जुर्माना, आहतगण हमीद खां व मोईनुद्दीन को चोट पहुँचाने हेतु धारा 337 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंर्तगत 3-3 माह के सश्रम कारावास व 500 500रू जुर्माना तथा वाहन को तेजगति व लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाये जाने हेतु धारा 279 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंर्तगत 3 माह के सश्रम कारावास व 500 रू जुर्माने से दण्डित किया गया, साथ ही जुर्माने की राशि में से दोनों आहतगण को 500-500 रू प्रतिकर एवं 1500 रू प्रतिकर मृतक के परिजनों को देने का आदेश भी दिया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी चंद्रकांत नाफडे, एडीपीओ द्वारा की गई तथा सहयोग राजेन्द्र नायक एडीपीओ द्वारा किया गया।