जावद। सोनू जैन, न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी, जावद द्वारा प्लाट विवाद के कारण मारपीट कर गंभीर चोट पहुॅचाने वाले एकपक्ष के आरोपीगण राकेश पिता सुखलाल सैन, उम्र 33 वर्ष, सुखलाल पिता वंशीलाल सैन, उम्र 52 वर्ष व पवन पिता सुखलाल सैन, उम्र 28 वर्ष तीनों निवासी ग्राम तारापुर, थाना जावद, जिला नीमच को धारा 325 / 34, 323 / 34 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में 01-01 वर्ष के सश्रम कारावास व कुल 1500-1500 रू जुमाने से दण्डित किया तथा दुसरे पक्ष के आरोपी जगदीश पिता मांगीलाल कुमावत, उम्र 40 वर्ष, निवासी-ग्राम तारापुर, थाना जावद, जिला नीमच को धारा 323 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में न्यायालय उठने तक के कारावास व 1000रू जुमाने से दण्डित किया गया।
आकाश यादव, एडीपीओ द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि घटना दिनांक 02.05.2014 दोपहर के लगभग 1:30 बजे की थाना क्षेत्र जावद के अंर्तगत आने वाले भाट की बावडी के पास आम रोड तारापुर की हैं। दानों पक्षकारों का एक दूसरे के साथ एक प्लाट को लेकर विवाद रहा हैं, जिसे दोनों पक्षकर अपना-अपना प्लाट बताते हैं।
इसी बात को लेकर घटना दिनांक को दोनों पक्षकारों का प्लाट पर से पत्थर हटाने की बात को लेकर विवाद हो गया, जिस कारण जगदीश ने लकड़ी से राकेश के साथ मारपीट कर चोटें पहुचाई तथा दूसरे पक्ष के राकेश, सुखलाल व पवन ने स्टाम्प नुमा लकड़ी से जगदीश के साथ मारपीट करी, जिस कारण जगदीश को गंभीर चोट आई एवं उसके हाथ में फ्रैक्चर हो गया था।
दोनों पक्षों ने थाना जावद में एक-दूसरे के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख कराई, जिस पर से थाना जावद द्वारा अपराध पंजीबद्ध कर आवश्यक अनुसंधान पूर्ण कर दोनों पक्षो के विरूद्ध अभियोग पत्र जावद न्यायालय में प्रस्तुत किया। विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से न्यायालय में दोनों पक्षों के सभी आवश्यक गवाहों के बयान कराकर प्लाट विवाद के कारण एक दूसरे के साथ मारपीट किये जाने के अपराध को प्रमाणित कराते हुए दोनों पक्षों के आरोपीगणों को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया।
माननीय न्यायालय द्वारा एक पक्ष के आरोपीगण राकेश सैन, सुखलाल सैन व पवन सैन को धारा 325/34 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 01-01 वर्ष के सश्रम कारावास व कुल 1500-1500 रूपये जुर्माने से दण्डित करते हुए जगदीश को 1500रू प्रतिकर प्रदान करने का आदेश पारित किया। इसी प्रकार दूसरे पक्ष के आरोपी जगदीश कुमावत को धारा 323 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में न्यायालय उठने तक के कारावास एवं 1000 रू जुर्माने से दण्डित करते हुए 800 रू प्रतिकर के रूप में राकेश को प्रदान करने का आदेश पारित किया।
न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी आकाश यादव, एडीपीओ द्वारा की गई।