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मीजल्स रूबेला उन्मूलन व पोलियो अभियान कि कार्यशाला संपन्न, 23 जनवरी 2022 को पोलियो अभियान

NEEMUCH HEADLINES December 18, 2021, 8:00 pm Technology

नीमच। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एसएमओ डॉ.रितेश बजाज एवं टीम द्वारा जिले के मेडिकल ऑफिसर व जिला व ब्लाक स्तर के अधिकरियो को मीजल्स रूबेला, कि रोकथाम, रिपोर्टिंग व उचित उपचार के बारे में एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया।

मुख्य चिकि‍त्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस. एस. बघेल के निर्देशन में 17 दिसम्बर शुक्रवार को श्रेष्ठा होटल कनावटी नीमच में जिले के मेडिकल ऑफिसरो का उन्मुखीकरण किया गया।

एसएमओ डॉ. रितेश बजाज ने बताया कि मीजल्स रूबेला रोग को टीकाकरण के द्वारा हम इरीडीकेट कर सकते है। मीजल्स रूबेला एक संक्रमक रोग है, जो किस भी व्यक्ति को हो सकता है, ज्यादात्तर 15 वर्ष से कम के बच्चों में हो सकता है। सभी स्वास्थ्य संस्थाए इसकी उचित रिपोर्टिंग करें, ताकि केस की उचित जाँच व उपचार किया जा सके और बच्चों को समय रहते मीजल्स रूबेला के प्रतिकूल प्रभाव से बचाया जा सके।

मीजल्स के मुख्य लक्षण बुखार के साथ शरीर पर लाल दाने आना, आँखे लाल होना है, जिससे बच्चे को कई मानसिक या शारीरिक नुकसान हो सकता है, आँखों पर प्रतिकूल असर हो सकता है। मीजल्स रूबेला कि रोकथाम के लिए पूर्व में एमआर अभियान भी चलाया था, जिससे जिले में सभी बच्चो को सम्पूर्ण टीकाकरण किया गया था। जिला स्तरीय वर्कशॉप में सभी मेडिकल ऑफिसर को केस इन्वेस्टिगेशन फॉर्म भरने, रिपोर्टिंग का तरीका, सेम्पल कलेक्शन, हायर सेंटर पर सेम्पल भेजने व उचित उपचार का तरीका बताया गया।

इस अवसर पर जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ.संगीता भारती, डीपीएम, अर्चना राठोर, बीएमओ डॉ.प्रवीन पांचाल, डॉ निरुपा झा, सभी ब्लाक पालसोडा, मनासा, डिकेन, जावद के मेडिकल ऑफिसर, डब्लूएचओ फिल्ड मॉनि‍टर पप्पू राजोरा आदि अधिकारी उपस्थित थे।

पल्स पोलियो अभियान 23 जनवरी को:-

आगामी 23 जनवरी 2022 को होने वाले पल्स पोलियो अभियान की पूर्व तैयारी, टीमों का गठन, बच्चों के हिसाब से वैक्सीन उपलब्धता व माइक्रो प्लान के बारे में मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। डॉ.बजाज ने बताया, कि इस बार पोलियो अभियान में कोविड अनुकूल व्यवहार का पालन करते हुए सभी 5 साल तक के बच्चों को पोलियो की दो बूंद पिलानी है।

हमारे पडोसी देशो पाकिस्तान व अफगानिस्तान में अभी भी कुछ पोलियो के केस पॉजिटिव आये है। पोलियो से पूर्ण सुरक्षा के लिए हर साल राष्ट्रीय पोलियो कार्यक्रम के तहत दो बूंद जिंदगी की पिलाई जाती है।

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