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सुलह कमेटी को हुए एक साल , अब टूटने लगा है पायलट खेमे का सब्र का बांध, जानिए कहां फंसा है पेंच

Neemuch headlines August 11, 2021, 7:55 pm Technology

प्रदेश में पंचायत चुनावों की घोषणा के साथ ही मंत्रिमण्डल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां जहां ठंडे बस्ते में चली गई है। वहीं सचिन पायलट खेमे की बगावत के बाद सुलह के लिए बनी कमेटी का मंगलवार को एक साल पूरा हो गया। लेकिन फिर भी सुलह- समाधान का रास्ता नहीं दिख रहा है। पायलट जहां इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए है। वहीं उनके खेमे के कई नेता लगातार गहलोत सरकार पर कटाक्ष करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। पायलट समर्थक विधायक और नेता चाहते हैं कि पंजाब की तर्ज पर राजस्थान में भी तत्काल एक्शन लिया जाएं और उनकी मांग पूरी की जाएं,

लेकिन यह कब होगा, फिलहाल संशय - भविष्य के फेर में अटका हुआ है। प्रियंका गांधी की मध्यस्थता के बाद वेणुगोपाल के नेतृत्व में बनाई गई थी सुलह कमेटी उल्लेखनीय है कि गहलोत सरकार की कार्यप्रणाली से नाराज विधायकों ने पिछले साल बगावत कर दी थी। एक माह से अधिक समय तक गहलोत-पायलट खेमे के विधायक अलग-अलग बाड़ाबंदी में रहे थे। इसके बाद 10 अगस्त 2020 को प्रियंका गांधी की ओर से की गई मध्यस्थता की गई। इसके बाद पायलट और उनके समर्थक विधायक इस शर्त पर वापस लौटे थे कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। लिहाजा पायलट की मांगों के समाधान को लेकर एआइसीसी संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने तीन सदस्यीय सुलह कमेटी का ऐलान किया, लेकिन पायलट खेमा का कहना है कि उनकी समस्याओं- मांगों का अभी तक समाधान नहीं किया गया है। क्या है पायलट खेमे की मांग दरअसल पायलट खेमा लगातार यह कहता आ रहा है कि पार्टी में कार्यकर्ताओं की सुनी नहीं जा रही है। जनता के काम अटके हुए है। लिहाजा मंत्रिमण्डल विस्तार से लेकर राजनीतिक नियुक्तियों तक की मांग पायलट खेमे की ओर से किए जा रहे हैं।

वहीं पायलट खेमे की कुछ मंत्रियों की मनमानी की बात भी कहीं जा चुकी है। पायलट खेमा चाहता है कि ऐसे मंत्रियों को पदों से हटाया जाएं और नए लोगों को मौका दिया जाएं। उल्लेखनीय है कि मंत्रिमण्डल विस्तार को लेकर कई बार प्रयास किए जा चुके हैंय़ लेकिन अभी अंतिम निर्णय नहीं हो सका है।

पायलट खेमे का कहना - देरी के फैसले से पार्टी को नुकसान उल्लेखनीय है कि पायलट खेमा लगातार मंत्रिमण्डल विस्तार को लेकर आवाज बुलंद करने में जुटा है। उनका कहना है कि गहलोत सरकार को ढ़ाई साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन अभी तक इस संबंध में फैसला नहीं लिया गय़ा है। पायलट खेमे का कहना है कि देरी से इस मामले में फैसला लेने से पार्टी को नुकसान होगा और कार्यकर्ताओं की नाराजगी बढ़ेगी। कहां अटक रहा है पेंच जानकारों की मानें, तो जहां पायलट खेमा गहलोत कैबिनेट में फेरबदल करने की मांग कर रहे हैं। वहीं सीएम गहलोत चाहते है कि उनकी कैबिनेट में पुराने लोग ही बने रहे, यानी गहलोत विस्तार के पक्ष में तो है, लेकिन फेरबदल नहीं चाहते, यहीं पेंच फंसा माना जा रहा है।

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