देश भर में आज हरियाली तीज मनाई जा रही है. सुहागिन महिलाओं के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है. तीज के दिन महिलाएं दुल्हन की तरह सजती संवरती हैं. आज के दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा कर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.
हरियाली तीज का महत्व:-
हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. इसलिए, हरियाली तीज पर सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं. आज के दिन पूजा में श्रृंगार की वस्तुएं मां पार्वती को चढ़ाई जाती हैं. इसके बाद हरियाली तीज की कथा सुनकर सास या अपने से बड़ी महिलाओं का आशीर्वाद लेकर उन्हें उपहार भेंट करती हैं.इस तरह से इस व्रत का विधि-विधान पूर्ण माना जाता है.
हरियाली तीज व्रत कथा:-
पौराणिक कथा के अनुसार शिव जी माता पार्वती को अपने मिलन की कथा सुनाते हैं. भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं कि हे देवी तुमने मुझे अपने पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया, परंतु फिर भी तुम मुझे अपने पति के रूप में ना पा सकीं।. इसके बाद 108वीं बार तुमने पर्वतराज हिमालय के घर में जन्म लिया और मुझे पाने के लिए कठिन तपस्या की. तुमने सब कुछ त्याग दिया था. तुम्हारी कठोर तपस्या देख कर तुम्हारे पिता हिमालय राज भी तुमसे अत्यंत क्रोधिच हो गए थे परंतु फिर भी तुम मेरी आराधना में लीन रही.
भाद्रपद शुक्ल तृतीया को तुमने रेत से शिवलिंग बनाकर उसकी आराधना की. कथा सुनाते हुए शिव जी कहते हैं कि हे पार्वती तुम्हारी कठोर तपस्या को देखकर मैं प्रसन्न हुआ,और तुम्हारी मनोकामना को पूर्ण करने का वचन दिया. फिर तुम्हारे पिता ने तुम्हारी हठ मान कर हमारा विवाह संपन्न करवाया. पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि जिस भाद्रपद शुक्ल तृतीया को तुमने शिवलिंग बनाई थी, वह दिन बेहद शुभ है, इसलिए इस दिन यदि कोई भी स्त्री पति सुख की कामना कर व्रत रखेगी, तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी. तभी से हिन्दू धर्म में हरियाली तीज के व्रत का विशेष महत्व माना जाता है.