भोपाल। मध्य प्रदेश में ओबीसी पर सियासत अब गरमाती नजर आ रही है. मानसून सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने ओबीसी आरक्षण को लेकर सदन से वॉकआउट कर दिया.
कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर कोर्ट में गलत जानकारी देने का आरोप लगाया है. इसलिए 27 फीसदी आरक्षण का मामला उलझा हुआ है. कांग्रेस के विधायक काला ऐप्रेन पहनकर विधानसभा में गांधी प्रतिमा पर पहुंचे और ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण देने की मांग की. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसे कांग्रेस की समाज को तोड़ने की साजिश बताया.
पूर्व सीएम कमलनाथ बोले कि यह बड़े दुख की बात है. जिस प्रकार प्रजातंत्र का खिलवाड़ किया गया है. विधानसभा और आदिवासी में समाज रोष है. प्रदेश में सवा दो करोड़ आदिवासी हैं. कॉन्ग्रेस आदिवासियों के लिए त्यौहार पर पैसा देती थी. आदिवासी दिवस के दिन मैंने श्रद्धांजलि अर्पित की.
जबकि बीजेपी ने आदिवासी दिवस पर आदिवासी छुट्टी कैंसिल कर दी. आदिवासी क्षेत्रों को दिया जाने वाला पैसा बीजेपी खत्म कर दिया. कहा कि कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए जो योजना लागू की थी उसे बीजेपी सरकार फिर से चालू कर दीजिए.
27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को लेकर बोले कमलनाथ:-
प्रदेश की 55 फ़ीसदी आबादी पिछड़ा वर्ग है. हमने 27 फ़ीसदी आरक्षण दिया था. 27 यदि ओबीसी आरक्षण को लेकर भी हमने स्थगन प्रस्ताव हटाया था, जब 55% ओबीसी वर्ग की आबादी है. बड़े दुख के साथ कहना चाहता हूं कि बीजेपी ने प्रजातंत्र से खिलवाड़ किया है. सरकार मुद्दों पर बात करने के लिए तैयार नहीं है. वह चालाकी की राजनीति कर रही है. कोरोना के मामले दबाने में लगी है. विधानसभा में जो भी चर्चा होगी वो जनता के सामने जाएगी. बीजेपी यह आवाज दबाना चाहती है.
क्या कहा शिवराज सिंह चौहान ने?:-
सीएम शिवराज कहा कि कमलनाथ सरकार 2019 में 14 से 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान लेकर आयी थी. इस पर 10 तारीख को कोर्ट में याचिका लगी और 19 तारीख को कोर्ट ने उस पर स्टे कर दिया. कमलनाथ को जवाब देना चाहिए कि 27 फीसदी आरक्षण बरकरार करने के लिए 10 से 19 तारीख तक तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने क्या किया. जब याचिका दाखिल हुई तो इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए. पूरी सरकार आंख पर पट्टी बांधकर बैठी रही.
कांग्रेस नहीं चाहती थी कि पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मिले. सीएम शिवराज ने कहा कि कांग्रेस ने पाखंड किया है, लेकिन बीजेपी सरकार पिछड़ा वर्ग को 27 फीसद आरक्षण दिलाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी