- मध्य प्रदेश का तहसील एवं ब्लॉक स्तर का पहला आक्सीजन प्लांट मनासा में जनता को सौगात के रूप में
-महामाया भादवामाता की महिमा व अफीम की खेती से देशभर में पहचान
-सीआरपीएफ की जन्म स्थली के साथ दो पूर्व मुख्यमंत्रियों का गृह जिला भी
नीमच। नीमच जिला अस्तित्व में आये 23 वर्ष बीत गए। किसी युवा की भांति जिले ने उन्नाति के पथ पर कदम बढ़ाए हैं। जिले में अब भी विकास की अपार संभावनाएं है।
कभी मंदसौर जिले का एक विकासखंड था नीमच, लेकिन क्षेत्र के विकास और जनता की भावनाओं के अनुरूप 6 जुलाई 1998 को मप्र में नीमच जिले का गठन किया गया। इसी के साथ नीमच, जावद व मनासा विकासखंड को विकसित किया गया। प्रदेश सरकार ने धीरे-धीरे जिले को स्थापित करने की कोशिश की। 6 जुलाई 2021 को नीमच जिला 23 वर्ष का हो गया है। किसी युवा की भांति जिले की लगभग 9 लाख से ज्यादा आबादी की आंखों में उम्मीदों के सपने बसे हैं।
इनसे मिली पहचान:-
नीमच प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री स्व.सुंदरलाल जी पटवा और स्व. वीरेंद्र कुमार जी सकलेचा का गृह जिला है। सीआरपीएफ की जन्म स्थली के रूप में भी नीमच को देशभर में पहचाना जाता है। भारत सरकार की सीमेंट फैक्ट्री के रूप में सीसीआई भी अपने अस्तित्व में आई थी परंतु धीरे धीरे सीसीआई बंद होने की कगार पर पहुंची और उसकी जगह प्राइवेट सीमेंट प्लांट विक्रम ओ (खोर) ने ले ली। इसके अतिरिक्त नीमच की धरा पर काला सोना (अफीम) की पैदावार होती है, जिनसे जीवनरक्षक औषधियां बनती हैं। इसके साथ ही मालवा की वैष्णो देवी कही जाने वाली महामाया भादवा माता का दरबार भी नीमच जिला अंतर्गत आता है जहां देश दुनिया से सैकड़ों भक्तजन अपनी आस्था के साथ महामाया के दरबार पहुंचते हैं महामाया भादवा माता की अपनी महिमा है।
नीमच जिला एक नजर में:-
मप्र का सीमावर्ती जिला, जिसकी सीमाएं तीन ओर से राजस्थान से जुड़ती हैं। इसके अंतर्गत तीन विकासखंड और 6 तहसील आती है। 3 लाख 93 हजार 976 हेक्टेयर तक अपनी सीमाओ को फैलाये नीमच जिला अपनी एक अलग पहचान रखता है।
नीमच जिला जब अस्तित्व में आया तो सबसे पहले नीमच जिले के कलेक्टर प्रभात कुमार पाराशर रहे वहीं एसपी श्रीनिवास राव पदस्थ रहे धीरे धीरे जिले की सौगातें बढ़ती गई वहीं जिले के कलेक्टर और एसपी भी बदलते गए वर्तमान में आज नीमच जिला कलेक्टर मयंक अग्रवाल एवं एसपी सूरज कुमार वर्मा जिले की कमान संभाल रहे हैं।
नीमच जिला कलेक्टर भवन की अगर हम बात करें तो
प्रदेश के 51 जिलों में नीमच कलेक्टोरेट भवन सबसे आधुनिकतम है। 3 करोड़ 80 लाख की लागत से 2 मंजिला भवन का निर्माण किया गया। जिसमें अब तीसरी मंजिल भी शामिल हो चुकी है। जहा शिक्षा विभाग के कार्यालय है। इसमें लगभग सभी शासकीय कार्यालयों का संचालन होता है।
कोरोना काल में संक्रमण से बचाने के लिए प्रशासन की टुकड़ियों ने लगातार प्रयास किए वही तहसील एवं ब्लॉक स्तर का पहला आक्सीजन प्लांट सौगात के रूप में मनासा तहसील के लोकप्रिय विधायक अनिरुद्ध माधव मारू ने क्षेत्रवासियों को दिया। लगभग 60 लाख की लागत से बने इस आक्सीजन प्लांट से अब जिलेवासियों को आक्सीजन समस्या से झूझना नहीं पडेगा।
मेडिकल कॉलेज भी कई उपलब्धियों में से एक उपलब्धि है। लगातार प्रयास करने के बाद नीमच और मंदसौर जिले को एक साथ मेडिकल कॉलेज की सौगात मिली। इस संघर्ष में नीमच जिले की जनता पत्रकार एवं राजनेताओं ने पूरा योगदान दिया। जिसके चलते शीघ्र ही नीमच जिले को मेडिकल कॉलेज की सौगात मिलने जा रही है, और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथों जल्द ही मेडिकल कॉलेज के भवन की नींव रखी जाएगी।
लगभग 4 करोड़ से ज्यादा की लागत में जिला अस्पताल के समीप ट्रामा सेंटर भवन बनकर तैयार हो चुका है। लेकिन ट्रामा सेंटर अभी भी पूरी तरह से शुरू नहीं हो सका है।
नविन सर्किट हॉउस:-
चीताखेड़ा रोड स्थित हवाई पट्टी के समीप बाग पिपलिया में 1 करोड़ से अधिक की लागत में सर्किट हाउस का निर्माण शुरू हुआ है। इसके पूर्ण होने में लगभग दो वर्ष का समय लगेगा।
औद्योगिक क्षेत्र:-
शहर से 8 किमी दूर धामनिया-झांझरवाड़ा में औद्योगिक क्षेत्र का विकास होना है। एमपीएकेवीएन की मॉनीटरिंग में औद्योगिक क्षेत्र विकसित होगा। इसके टेंडर भी हो चुके हैं, लेकिन काम की शुरुआत नहीं हुई है।
नीमच-बड़ी सादड़ी रेल लाइन:-
2017-18 के रेल बजट में 475 करोड़ की लागत से नीमच-बड़ी सादड़ी रेल लाइन प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है। 41 किमी लंबी रेल लाइन के लिए सर्वे का काम हो चुका है। अब इसके मूर्तरूप लेने की बारी है।
कुछ ऐसे विषय जिनसे जनता हमेशा रही अछूती:-
1. शहर की जलापूर्ति व्यवस्था मजबूत करने के लिए प्रदेश सरकार ने नपा नीमच को मुख्यमंत्री जल आवर्धन और यूआईडीएसएसएमटी योजनाएं दीं। प्रतिदिन पानी देने का वादा किया, लेकिन समयावधि बीतने के बाद भी जनता प्यासी है।
2. बँगला बगीचा समस्या:-
नपा चुनाव के पूर्व मुख्यमंत्री ने चुनावी सभा में 4 माह में बंगला-बगीचा समस्या के समाधान का दावा किया था। नपा गठन के करीब 29 माह बाद समाधान के मसौदे को मंजूरी दी, लेकिन इससे जनता संतुष्ट नहीं है। अधिकारी व जनप्रतिनिधि भी मसौदे को समझ नहीं सके हैं।
3. चंबल का पानी:-
मंदसौर के साथ नीमच जिले को चंबल का पानी दिए जाने की मांग सालों पुरानी है। संस्था कृति हस्ताक्षर अभियान चला चुकी है। कागजों में योजना बनाने की बात सामने आई, लेकिन जिले का जावद विकासखंड उसमें से गायब है। 2 हजार करोड़ से ज्यादा की योजना कागज से कब बाहर आएगी स्पष्ट नहीं है।
19 साल से अनदेखी - अरावली पर्वत श्रृंखला पर स्थित सुखानंद महादेव व रतनगढ़ किला भी उपेक्षित है।
-धर्म और आस्था की प्रतीक महामाया भादवा माता के दरबार में सौंदर्यकरण भी उपेक्षित रहा
- डीकेन, मोरवन और रतनगढ़ की पहाड़ियों के शैल चित्र का अस्तित्व खतरे में है।
- रतनगढ़, जाट के समीप कामा कीरता के जंगलो में बर्ड सेंच्यूरी भी हसीन सपना है।
- चीताखेड़ा हवाई पट्टी से एयर टैक्सी के सपने संजोए गए, लेकिन हकीकत में यह फिलहाल संभव नहीं।
शिक्षा में हम अव्वल:-
नीमच प्रदेश के छोटे जिलों में शुमार हैं। 1998 में जिले में 636 प्राथमिक और 195 माध्यमिक स्कूल थे। वर्तमान में इनकी संख्या क्रमशः 879 और 373 हो चुकी है। 380 अशासकीय शालाएं संचालित हो रही हैं। जिले में शिक्षा का स्तर निरंतर बढ़ा है। हाईस्कूल और हायर सेकंडरी के परीक्षा परिणाम में पूर्व में हम पहले व दूसरे स्थान पर भी काबिज हो चुके हैं।