पंजाब में कांग्रेस में अंतर्कलह को खत्म करने के लिए बनी समाधान कमेटी की लंबी कवायद के बाद फिलहाल असंतुष्ट नेता शांत हैं और अब उन्हें 10 जुलाई तक फैसले का इंतजार है। वहीं, राजस्थान में एक बार फिर समर्थकों के दम पर अपनी ताकत दिखा रहे
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी पंजाब के समाधान और नेतृत्व के फैसले पर नजरें बनाए हुए हैं। सचिन पायलट गुट के नेता चाहते हैं कि पंजाब की तर्ज पर राजस्थान के सीएम समेत सभी नेताओं को दिल्ली बुलाकर बात की जाए।
पिछले साल सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों की समस्या को सुनने के लिए जिस कमेटी का गठन किया गया था, उसने अभी तक काम शुरू नहीं किया है। अहमद पटेल के निधन के चलते भी कमेटी सुचारु रूप से काम नहीं कर पाई। पंजाब की तरह कांग्रेस नेतृत्व राजस्थान में भी नेताओं की बयानबाजी पर नजर रखे है।
यही कारण है कि गहलोत गुट के लगातार उकसाने के बाद भी सचिन पायलट शांत हैं और अपने समर्थकों को आगे करके लड़ाई लड़ रहे हैं। दिल्ली में तीन दिन ठहरने के बाद भी मीडिया में ऐसा कोई बयान नहीं आया जो उनके खिलाफ जाता हो।
राज्य के प्रभारी अजय माकन ने भी स्पष्ट कर दिया है कि पायलट पार्टी नेता हैं और ऐसा कतई नहीं कि वे केंद्रीय नेतृत्व से मिलने का समय मांगे और न मिले। इशारा साफ है कि अगर उन्हें लगता है कि मुलाकात होने भर से समाधान निकल आएगा तो ऐसा कर सकते हैं। यही कारण है कि पायलट अपने समर्थकों के माध्यम से अपनी बात आलाकमान तक पहुंचा रहे हैं
लेकिन पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर नेतृत्व का क्या रुख होगा इसे भांपकर ही आगे बढ़ना चाहते हैं।