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अफीम केस में पुलिस का मुखबिर तंत्र मजबूत तो, क्रिकेट के बुकियों को पकड़ने में हुआ फ़ैल

सजंय व्यास June 17, 2021, 9:56 am Technology

मनासा। इन दिनों क्रिकेट के सट्टे का अवैध कारोबार अफीम की तस्करी से ज्यादा घातक साबित हो रहा है..! बढ़ती हुई तकनीकी के कारण या पुलिस के कमजोर ख़ुफ़िया तंत्र के चलते इन सट्टे के कारोबारियों के होंसले बुलंद है। बात करे मनासा क्षेत्र में पूर्व में हुई क्रिकेट सट्टे की कार्यवाहियों की तो, महज इक्का दुक्का केस की रजिस्टर्ड हो पाये है...! लेकिन ठीक इसके विपरीत बुकियों एवं एजेंटो की संख्या में अधिक वृद्धि हुई है! आज इन बुकियों को क़ानून या पुलिस का कोई खौफ नहीं रहा, नतिजा गली गली में बुकी अपनी अपनी दुकान सजा कर बैठे है। ग्राहक की पारिवारिक हैसियत से खुलती है

व्यापार की लिमिट:-

सूत्र बताते है की, इन बुकियों के एजेंट ग्राहक की परिवारिक पृष्ट भूमि की जानकारी निकाल लेते है,, और फिर टारगेट बनाकर कार्य किया जाता है..! संम्पन्न परिवार से जुड़े ग्राहक की कोई लिमिट नहीं होती, बुकी खुद उसे आगे रखकर कहता है की, आपकी कोई लिमिट निहि है चाहो जितना व्यापार करो, और इसी के चलते फिर शुरू होता है खेल ग्राहक की बर्बादी का, और बुकी की आबादी का..! खैर ग्राहक भी जब तक कमाता है तब तक उसे सब अच्छा लगता है, लेकिन जैसे ही बर्बादी का दौर आता है,, तो पानी की तरह सब कुछ बहा के चला जाता है...!

सत्ता और सट्टा:-

इन सट्टे से जुड़े करबारियो की पहली कोशिश सत्ता के साथ अपनी पकड़ मजबूत करना होती हे.?सत्ता जिसकी रहो ये अपने विचार उसी के जैसे व्यक्त करेंगे, इनके ना तो किसी समाज से मतलब है ना ही कीसी नेता से,,, अपने स्वार्थ की पूर्ति हेतु ये खुद को किसी भी पार्टी से जोड़ लेते हे,,,, येन केन प्रकार से अपना काम चला लेते हे...! जब तक राजनीति से जुड़े हुवे तमाम नेता इन सट्टेबाजों को सरक्षण देना बंद नहीं करते,,,पुलिस इन पर मजबूत कार्यवाही कैसे करे...! सट्टे बाजो को पकड़ने की देर होती हे,,, और नेताओं के फोन थाने में बजना शुरू हो जाते हे..!

अफीम और क्रिकेट:-

मालवा में अफीम की तस्करी के किस्से आये दिन अखबारों, टीवी चैनलों, न्यूज़ पोर्टल आदि पर पड़ने एवं सुनने को मिल जाते हे..! और अधिकांश केस में पुलिस का मुखबिर तंत्र बहुत मजबूत माना जाता रहा हे,,, कई कैस में पुलिस को ही फ्रंट लाईन पर आना पड़ता हे तस्कर तक पहुँचने के लिये..! तब कही सफलता मिलती हे,,, लेकिन ठीक इसके विपरीत क्रिकेट के ये बुकी बिच शहर में बैठकर सट्टे का कारोबार संचालित करते हे,,, लेकिन क्या कारण हे की पुलिस आखिर इन लोगो तक नहीं पहुंच पाती हे! क्या सट्टे बाजो को पकड़ने में पुलिस का मुखबिर तंत्र कमजोर नजर आ रहा हे या फिर शहर के क्राइम पर निगाह रखने वाली चिता फ़ोर्स के जवानो की निगाह उन बुकियों तक नहीं पहुंच रही हे। खैर जो भी हो लेकिन वर्त्तमान में मुझे नही लगता की, इन सट्टे बाजो की कोई मदद करेगा, कौन होगा जो इन खाईवालों का पक्ष लेगा, वैसे वर्त्तमान में मनासा पुलिस ने इन अपराधियों के खिलाफ तैय्यारी कर ली हे। जिस तरह से लगातार कार्यवाही जारी हे, जल्दी ही इन तथाकथित सट्टे बाजो के चेहरों से ईमानदारी का लिबास हट जाएगा।

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