भोपाल। म प्र सरकार द्वारा संकटकाल में जन प्रतिनिधियों के वेतन भत्ते बढाने संबंधित समिति के गठन का निर्णय कहीं न कहीं न्यायोचित नहीं हैं।
प्राप्त सुत्रों से जानकारी के अनुसार प्रदेश सहीत पुरे देश में कोरोना को लेकर हा-हाकार मचा हुआ हैं । पिछले साल से लेकर अभी तक जहाँ अधिकारीयो से लेकर कर्मचारियों तक के वेतन भत्ते में लगभग 22% वृद्धि करना शेष है। पुरा देश आर्थिक संकट की मार झेल रहा है, इस आपात स्थिति मे म प्र शासन के सत्तापक्ष व विपक्ष के माननीयो ,जन प्रतिनिधियों (विधायकगण) के वेतन भत्तों में बढोतरी करने हैतू समिति का गठन करना शासन का निर्णय विपरीत परिस्थितियों मे उचित प्रतीत नही हो रहा हैं ।
आजाद अध्यापक संघ म प्र के प्रांतीय संगठन मंत्री विनोद राठोर ने बताया हैं की म प्र मे कोरोना काल जैसी विपरीत स्थितियों में अधिकारी/कर्मचारी वर्ग अपनी सम्पूर्ण उर्जा के साथ सेवारत है ।लेकिन इस वर्ग का भी बीते वर्ष से लेकर अभी तक लगभग 22% वेतन भत्तो मे वृद्धि के आदेश लम्बित हैं। जिनका निराकरण करने हैतू शासन की और से अभी तक किसी प्रकार का निर्णय नही लिया गया हैं ।
लेकिन फिर भी अधिकारी/कर्मचारी वर्ग कोरोना काल की परिस्थितियों को लेकर चुप हैं । लेकिन जिस तरह से जानकारी प्राप्त हुई हैं की म प्र शासन ने माननीयो के वेतन भत्तो मे वृद्धि करने संबधित आदेश पारित किया हैं। कहीं न कहीं प्रदेश के अधिकारी/कर्मचारी वर्ग के साथ आर्थिक रुप से विरोधाभास हैं। शासन को सर्वप्रथम अधिकारी/कर्मचारी वर्ग के लम्बित डीए व ईंक्रीमेंट के निराकरण पर भी ध्यान देना चाहिए।
सरकार को विपरीत परिस्थितियों में खड़े रहे कर्मचारी वर्ग को पहले लाभान्वित करना चाहिए ना की माननीयो को लाभान्वित करना।