चक्रवाती तूफान यास बृहस्पतिवार सुबह झारखंड पहुंचा, जिसके बाद पूर्व एवं पश्चिम सिंहभूम इलाके में तेज बारिश और 145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं। कई जगहों पर पेड़ व खंभे उखड़ गया। झारखंड में आठ लाख लोग तूफान से प्रभावित हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में सबसे पहले समीक्षा बैठक करेंगे। इसके बाद वह बालासोर, भद्रक और पूर्व मेदिनीपुर का हवाई दौरा करेंगे। इसके बाद पश्चिम बंगाल में अधिकारियोंके साथ समीक्षा बैठक में स्थिति का जायजा लेंगे।
झारखंड के पूर्व व पश्चिम सिंहभूम जिला समेत कई इलाकों से 15 हजार लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया और कई जगहों पर राहत कार्य जारी है। 500 टीमें लोगों को निकालने और रास्तों में पड़े उखड़े पेड़ों को हटाने में जुटी हैं। खारखाई और सुवर्णरेखा नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। वहीं बोकारो में बिजली गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई।
मौसम विभाग के मुताबिक तूफान कमजोर होकर दक्षिण झारखंड से 75 किलोमीटर दूर पहुंच गया है। चाईबासा, मंदारनगर और रांची में अगले 24 घंटे बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है
ओडिशा में राहत शिविर से घरों को लोटने लगे लोग तूफान यास के कमजोर होकर झारखंड की ओर बढ़ने के बाद ओडिशा के राहत शिविरों में ठहरे लोग अपने अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं। राहत शिविरों में कोरोना संक्रमण के खतरे की चिंता के बीच इनका अपने घरों की ओर लौटना जल्द शुरू हो गया है। जगतसिंहपुर, केंद्रपारा और जाजपुर के ज्यादातर लोग बुधवार को ही लौट गए थे जबकि अन्य इलाकों के लोग बृहस्पतिवार की सुबह अपने घरों के लिए रवाना हुए। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए प्रशासन ने ओडिशा में करीब साढ़े छह लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था। 1970-2019 के बीच भारत में आए 117 तूफान, 40 हजार से अधिक ने गंवाई जान मौसमी आपदाओं पर हुए एक अध्ययन के मुताबिक भारत में 1970 से 2019 के बीच 50 वर्षों में 117 चक्रवाती तूफान आए, जिनमें 40 हजार से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई। वहीं शोध में यह भी दावा किया गया कि पिछले दस वर्षों में उष्णकटिबंधी चक्रवाती तूफान से होने वाली मौतों की दर घटी है।
शोध के मुताबिक इन 50 वर्षों में बेहद खराब मौसम की 7063 घटनाओं में 1,41,308 लोगों की मौत हुई। इनमें चक्रवात से 28 फीसदी यानी 40358 और बाढ़ से 65130 (46 फीसदी) की जान गई। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन, वैज्ञानिक कमलजीत रे, एसएस रे, आरके गिरी और एपी डिमरी द्वारा लिखित इस शोध पत्र को पिछले साल ही प्रकाशित किया गया था।