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वरिष्ठ पत्रकार पी. मोतीलाल शर्मा की जयंती पर विशेष- पी. मोतीलाल शर्मा से मोतीपुरी तक : व्यक्तित्व एवं कृतित्व

अतिथि संपादकीय- श्रीमती शारदा शर्मा May 23, 2021, 8:57 am Technology

चरण वन्दन को गए , चरणों में समर्पित हो गए

नीमच जिले की जावद तहसील के मोरवन जैसे छोटे से गाँव में 23 मई 1942 को पण्डित श्री दौलतराम जी शर्मा के यहाँ जन्में श्री पी मोतीलाल शर्मा ने अपने जीवन के मात्र 20 वर्ष में जब कलम थामी तब पत्रकारिता मौजूदा दौर की तरह उन्नत , साधन समृद्ध और परिस्कृत स्वरूप में नहीं थी । उस दौर की अत्यन्त प्रतिकूल श्रमसाध्य एवं चुनौती पूर्ण स्थितियों में जीवटता से श्री मोतीलाल शर्मा ने पत्रकारिता को न केवल अपनाया बल्कि निरन्तर 55 वर्षों से इस जनहितकारी विधा के माध्यम से समाज सेवा से जुड़े रहे ।

पारिवारिक पृष्ठ भूमि पर नज़र डालें तो 2 जुलाई सन 1978 को पिता श्री दौलतराम जी के स्वर्गवास के बाद छोटी बहिन सहित तीन भाइयों की जिम्मेदारी उनके कन्धों पर आ गई । कम उम्र में आए इस वज्रपात के

बावजूद बहादुरी से अपने ज्ञान से स्वयं आगे बढे और अपने अपने भाइयों को भी पढ़ा - लिखाकर योग्य बनाया ।

मैं राजस्थान की बेटी हूँ और 16 नवम्बर 1984 को पी मोतीलाल जी शर्मा के सबसे छोटे भाई श्री संजय शर्मा के साथ परिणय सूत्र में बंधकर आई तब से अब तक मैंने अपने घर में पठन- पाठन और लेखन का माहौल देखा ।

क्षेत्र की लोककथाओं , परम्पराओं, जीवन शैली , ऐतिहासिक तथ्यों , मुहावरों , कहावतों एवं अहम घटनाक्रमों के सारभूत ज्ञान तथा गहन अध्ययन जैसी विलक्षण खुबियों के रहते श्री पी मोतीलाल शर्मा ने कभी भी यह महसूस नहीं होने दिया कि वे लेखन एवं भाव - सम्प्रेषण की कसौटियों पर किसी मायने में कमज़ोर है ।

अपनी बहुमुखी प्रतिभा और योग्यता से आँचलिक पत्रकारिता को नए आयाम देने वाले श्री पी मोतीलाल शर्मा ने अपने ज्ञान को सभी के बीच सार्थक ढंग से बांटने के धेय से वर्ष 2003 में " नीमच जिला दर्शन " नामक एक बहुउपयोगी पुस्तक का संपादन , लेखन और प्रकाशन किया जो इस अंचल के ऐतिहासिक , धार्मिक , पुरातत्व ,पर्यटन , सांस्कृतिक ,लोकजीवन एवं विकासोन्मुख दृश्यों का प्रमाणित और सारगर्भित दस्तावेज़ सिद्ध हुआ ।

इस अनूठी पुस्तक को मिली सर्वत्र सराहना , सफलता के बाद सिद्ध उपयोगिता की वज़ह से वर्ष 2005 में इस पुस्तक का परिवर्धित संस्करण भी प्रकाशित किया गया । इससे इस अंचल को इस पुस्तक के माध्यम से एक संग्रहणीय सौगात दी जो जानकारियों और ज्ञान का भण्डार है । जब इस पुस्तक का विमोचन हो रहा था तब मंच से ख्यातनाम साहित्यकार , मालव माटी के सपूत ,सरस्वती पुत्र श्री बालकवि जी बैरागी ने इसमें और अधिक जानकारियों का समावेश करने हेतु कहा था , तब श्री मोतीलाल शर्मा ने अपने अनुज संजय शर्मा से नीमच जिले के अन्य ज्ञात - अज्ञात स्थलों पर सर्वेक्षण करने हेतु कहा। संजय ने भी इस कार्य में गहरी रुचि ली और नई जानकारियों के साथ नीमच जिला दर्शन का 200 पृष्ठों का रंगीन परिवर्धित तीसरा संस्करण सन 2011 में पाठकों के हाथों तक पहुंचा ।आपने मई 1990 में नीमच से साप्ताहिक " चौथा परिवार समाचार पत्र का प्रकाशन भी किया ।

जनप्रतिनिधि के रूप में सेवाएं :-

श्री मोतीलाल शर्मा उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के बाद मोरवन ग्राम पंचायत में पंच बने ,उप सरपंच और प्रभारी सरपंच भी रहे । आप सहकारी समिति के सदस्य , संरक्षक जावद तहसील पंचायत कर्मचारी यूनियन , अध्यक्ष मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ , जिला विजिटर उपजेल जावद , सदस्य जिला शांति समिति , सदस्य नीमच जिला पुरातत्व संघ प्रबंध कार्यकारिणी , सदस्य मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ , भोपाल ।

यूँ बने मोतीपुरी जी :-

श्री मोतीलाल शर्मा की बचपन से ही धार्मिक कार्यों में रुचि रही है । सर्व प्रथम मोरवन गाँव में बने नवीन मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में बढ़ चढ़ कर भाग लिया । जावद तहसील के जाट गाँव के समीप स्थित रामझरिया महादेव में सन 1970 में दशनाम संन्यास आश्रम नई दिल्ली के हरिहरानंद गिरी जी के संपर्क में आए और 365 दिन चले इस महायज्ञ में उनके साथ रहे ।इस यज्ञ में जगतगुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद जी ने भी आशीर्वाद प्रदान किया ।आपने अपनी धर्म पत्नी के साथ चारों धाम और 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लिए है ।

सन 2004 में अखिल भारतीय महा निर्वाणी अखाड़ा से जुड़े महामंडलेश्वर " विश्व गुरू " योग के राजदूत अलखपूरी सिद्धपीठ परम्परा के पीठाधीश्वर जाडन आश्रम के स्वामी परम हंस श्री श्री 1008 श्री महेश्वरानंद जी पुरी के सानिध्य में आए। लगभग 12 वर्षों तक महेश्वरानंद जी के संपर्क में रहने के कारण सन 2016 के सिंहस्थ महाकुंभ उज्जैन में 18 अप्रेल 2016 को अटल अखाड़ा की पेशवाई के दौरान श्री मोतीलाल शर्मा को अपना शिष्य बनाकर " मोतीपुरी जी " नाम दिया । तब से लेकर 28 मई 2017 तक जीवन की अंतिम सांस लेने तक मोतीपुरी नाम से जिए ।

 जीवन यात्रा :-

कठोर और विपन्न स्थितियों में अडिग रहकर आगे बढ़ने का हौसला दिखाने वाले श्री पी मोतीलाल शर्मा ने सन 1960 में साप्ताहिक " स्पूतनिक " समाचार पत्र से पत्रकारिता प्रारम्भ की और मंदसौर के " दैनिक ध्वज " , उज्जैन से तत्कालीन रूप में प्रकाशित " दैनिक भास्कर " एवं इंदौर से प्रकाशित " नई दुनिया " जैसे अखबारों में भी अपनी सेवाएं दी ।

कुछ समय के लिए अपने स्वर्गीय मित्र अचल वर्मा के साथ मिलकर नीमच से " मालव भारती " नामक समाचार पत्र का प्रकाशन किया । लेकिन संसाधनो के अभाव में यह पत्र ज्यादा तीन तक पाठको के बीच नहीं टिक पाया ।

खेर , इस बीच 1 जनवरी 1976 को नीमच से प्रेमप्रकाश जैन के संपादन में निकलने वाले दैनिक " नई विधा " से जुड़ गए । लंबे समय तक नई विधा में अपनी सेवाएँ देने के बाद आप आर . व्ही . गोयल के संपादन में निकलने वाले दैनिक " दशपुर एक्सप्रेस " से जुड़े और फिर नई विधा में चले गए । एक संस्थान के साथ दीर्घ नातेदारी आपके संबंधों के प्रति अगाध निष्ठा और समर्पण भाव को रेखांकित करती है । आपका दीर्घकालीन सफल पत्रकारिता का दौर इस बात की उत्कृष्ठ मिसाल है कि कामयाबी और बेहतर कार्य के लिए परिश्रम की भावना है तो स्वयं अपनी प्रतिभा को परिस्कृत कर नई ऊँचाइयाँ स्पर्श कर सकता है।

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