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पुरातत्व विभाग की घोर लापरवाही के चलते प्राचीन पुरातत्व विभाग का मंदिर व बावड़ी हुए निजी

Neemuch Headlines March 10, 2021, 3:56 pm Technology

खोर । जहां भारत देश में 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है उसी देश के मध्यप्रदेश में नीमच जिले के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत खोर जो कि पुरातत्व की नगरी के नाम से प्रसिद्धि का कारण यहां पर स्थित केंद्रीय व राज्य पुरातत्व के अन्य स्थानो में से एक राज्य पुरातत्व की बिलिया बावड़ी भी स्थित होकर ग्राम खोर की सुंदरता व प्रसिद्धि को सुशोभित इतिहास के पन्नों में कर रहा है । परंतु ग्राम खोर में स्थित बिल्लियां बावड़ी जो कि गोहिल युगीन समय की दसवीं और ग्यारहवीं शताब्दी से होकर वर्तमान में भी स्थित हैं परंतु विभाग की कुंभकरण की नींद के चलते और घोर लापरवाही के कारण आज उपरोक्त बिल्लियां बावड़ी वह स्थित मंदिर विलुप्ति की कगार पर खड़ा है जहां एक और पुरातत्व विभाग के कर्मचारियों को देश की धरोहर को बचाने के लिए शासकीय नौकरी देकर वेतनमान व भत्ते इत्यादि दिए जा रहे हैं परंतु शासन के कर्मचारी उच्च अधिकारी एवं पुरातत्व विभाग के कर्मचारी भू माफियाओं से मिलीभगत करके कई वर्षों से इस धरोहर को नष्ट करने में लगे हुए हैं यही नहीं बल्कि स्थानीय सुरक्षा कर्मी से पूछे जाने पर सही जवाब भी नहीं दिया जाता है और ग्रामीणों को यह कहकर दबाया जाता है कि मेरे द्वारा तो कई बार इस विषय में विभाग को अवगत करवा दिया गया है । और विभाग को दीमक लग गई है। और तुम लोग भूमाफियाओं का कुछ नहीं बिगड़ा सकते हो । यही नहीं स्थानीय कर्मचारी के द्वारा यह भी कहा जाता है कि उक्त बावड़ी व्यक्ति विशेष को होकर कई वर्षो से निजी खसरा नकल में अंकित है । क्या स्थानीय कर्मचारी व विभाग की जवाबदारी नहीं थी कि 10 व 11 शताब्दी के इस प्राचीन पुरातत्विक मंदिर व बावड़ी को पुरातत्व विभाग के द्वारा सुरक्षित और संरक्षित किए जाने कि कार्यवाही करनी चाहिए थी । परन्तु लापरवाही के चलते मंदिर व बावड़ी को क्षति ग्रस्त करके निरन्तर नया निर्माण करके पुरातत्व के इस स्थान का स्वरूप बदला जा रहा है । जो कि जांच का विषय है । जहां आज वर्तमान स्थिति में उक्त मंदिर पर भगवान शिव, नंदी व विष्णु एवं अन्य प्रतिमा आज भी मंदिर में वर्तमान में मौजूद हैं जिस बावड़ी का हवाला खसरा नकल में निजी होने का उल्लेख बताया गया है यह बात भी गले उतरने योग्य नहीं है क्योंकि इस प्रकार की बावड़ी खसरा नकल में जिस वर्ष में दर्ज है उस वर्ष इस प्रकार की कारीगरी व पत्थर इत्यादि जुटा पाना भी संभव नहीं है ऐसे कई तथ्यों को शासन प्रशासन के कर्मचारियों के द्वारा छुपाने का षड्यंत्र कर देश की धरोहर को मिलीभगत से नष्ट किया जा रहा है जिसे बचाना बहुत जरूरी है वहीं इस मामले में शासन प्रशासन के कर्मचारी व विभाग भूमाफिया शंका के घेरे में है यह स्पष्ट होना चाहिए कि इस षड्यंत्र में कई अधिकारी लिप्त हैं क्योंकि स्थानीय सुरक्षा कर्मी के द्वारा शासन को जानकारी नहीं देकर मामले को समय-समय पर दबाया गया था । उक्त मामले को लेकर ग्रामीण जनों में आक्रोश व्याप्त हैं । उक्त जानकारी देते हुए अनिल जोशी, कमल खटीक, अशोक गुर्जर, पृथ्वीराज खोईवाल, पूर्व जनपद प्रतिनिधि गोपाल जी चौधरी, संजय पांडया, राजेश टेलर, श्याम सुंदर अग्रवाल, कमल दास बैरागी, रतन दास बैरागी, गोपाल दास बैरागी, सत्यनारायण खटीक वर्तमान सरपंच प्रतिनिधि इत्यादि ने जिला कलेक्टर महोदय, अनुविभागीय अधिकारी महोदय, तहसीलदार महोदय से अपील की है कि जल्द से जल्द इस मामले को उजागर करते हुए ग्रामीण जनों की समस्या का समाधान करने में मदद करें । और जिले के सभी सक्रिय पत्रकार बंधुओं से भी निवेदन किया है कि इस मामले को पुरजोर तरीके से सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में प्रकाशित करें ताकि कुंभकरण की नींद सो रहे विभाग तक उक्त मामला पहुंच पाए । यदि शासन प्रशासन व विभाग भू माफियाओं के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं करते है तो ग्रामीण जनों के द्वारा अति शीघ्र ही उग्र आंदोलन किया जाएगा इस से अच्छा है कि शासन प्रशासन और विभाग जल्द से जल्द उक्त पुरातत्व की बिलिया बावड़ी का मंदिर को लेकर शासकीय व विभागीय जांच बिठाए वह मंदिर और जमीन को पुरातत्व विभाग में घोषित कर विभाग के द्वारा मंदिर बावड़ी और शासन की जमीन को तत्काल कब्जे में ले और जिन भू माफियाओं का उपरोक्त सर्वे नंबर पर किसी प्रकार का भूमि स्वामी पट्टा जारी होने का दावा किया जाता है तो उस पट्टे को भी निरस्त किया जाकर भूमाफिया से कब्जा प्राप्त कर पुनः शासकीय रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए । क्योंकि ऐसे कई तथ्य आज भी ग्रामीणों के पास मौजूद हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि उक्त बावड़ी प्राचीन व पुरातत्व विभाग की होकर संरक्षित किया जाना उचित है और भू माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही किया जाना भी उचित होगा।

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