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आज धनतेरस पर जानिए क्या है पूजा करने की विधि...

Neemuch Headlines November 13, 2020, 7:51 am Technology

इस दिन भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन भगवान धन्वंतरि की आराधना की जाती हैं। धनतेरस की पूजा सही विधि से करनी चाहिए। धनतेरस का त्योहार बहुत खास होता है। भगवान धन्वंतरि में श्रद्धा रखने वाले लोग पूरे साल इस त्योहार का इंतजार करते हैं। इस साल धनतेरस 13 नवंबर, शुक्रवार और 12 नवंबर, बृहस्पतिवार दोनों दिन मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग की मानें तो 13 नवंबर, शुक्रवार को धनतेरस मनाना ज्यादा उचित रहेगा।

धनतेरस क्यों मनाते हैं :-

कहते हैं कि इस दिन भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन भगवान धन्वंतरि की आराधना की जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि जो इस दिन भगवान धन्वंतरि की आराधना करता है इसे सब सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही ऐसे व्यक्ति के पास अपार धन-संपत्ति आती है। इसलिए प्राचीन काल से ही धनतेरस की बहुत अधिक महिमा रही है। कहते हैं कि इस दिन पूजा करने से दरिद्रता का नाश होता है।

धनतेरस पूजा विधि :-

धनतेरस की शाम एक चौकी लें। उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।

अब इस चौकी पर गंगाजल के छींटें मारकर इसे पवित्र करें।

फिर इस चौकी पर भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।

देसी घी का दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं।

अब प्रतिमा पर लाल फूलों का हार अर्पित करें।

संभव हो तो कमल का फूल भी चढ़ाएं।

साथ ही प्रतिमा पर कुमकुम का तिलक भी लगाएं।

धनतेरस के दिन जिस भी बर्तन, धातु या ज्वेलरी आदि की खरीदारी की है उसे चौकी पर रखें।

हाथ जोड़कर भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी और भगवान कुबेर का ध्यान करें। अब लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करें। फिर माता महालक्ष्मी और भगवान विष्णु की आरती कर दंडवत प्रणाम करें। साथ ही मिठाई का भोग भी लगाएं।घर के सभी सदस्यों को प्रसाद दें और स्वयं भी प्रसाद लें।

धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त :-

पूजा का शुभ मुहूर्त – 13 नवंबर, शुक्रवार – शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम 5 बजकर 59 मिनट तक।

वृषभ काल – शाम 5 बजकर 32 मिनट से शाम 7 बजकर 28 मिनट तक।

प्रदोष काल – शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम 8 बजकर 7 मिनट तक।

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