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श्री शान्तिसागर जी महाराज ने दिगंबर परंपराओं को बनाये रखने में बहुत योगदान दिया। आर्यिका प्रशममति माताजी, जीवन चारित्र पर वक्ताओं ने दिया उद्वोधन

प्रदीप जैन August 24, 2025, 4:21 pm Technology

सिंगोली। नगर में 20 वी सदी के प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती श्री शान्तिसागर जी महाराज का समाधि महामहोत्सव दिवस गुरु मां आर्यिका श्री प्रशममति माताजी व आर्यिका उपशममति माताजी ससंघ के सानिध्य में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है।

24 अगस्त रविवार को प्रातः काल 7:30 बजे मंगलाचरण नेहा बगड़ा ने किया चित्र अनावरण दीप प्रज्वलन करने का सोभाग्य वक्ताओं व माताजी ससंघ को शात्र भेंट करने का महिलाओं को सोभाग्य मिला व उसके बाद आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज के जीवन चारित्र पर विभिन्न वक्ताओं द्वारा परिचर्चा करते हुए बताया कि उनका जन्म 1871 में दक्षिण भारत के बेलगाम जिले के बेलगुल गांव मे हुआ था।

उनकी माता का नाम सत्यवती (सत्यभामा)और पिता का नाम भीमगोड़ा था उनका नाम सतगोडा रखा गया था बचपन से ही वे घरेलु कार्यों से विरक्त रहते थे और धार्मिक आयोजन और अनुष्ठानों में सक्रिय रहते थे।

इसके बाद वे कुछ वर्षों तक घर में ही रहे और स्वयं को स्थायी दीक्षा के लिए तैयार किया जब दिगंबर मुनिराज श्री देवेन्द्र कीर्तिजी महाराज उतरुर गांव में आए तो संतगोडा ने उनके समक्ष दीक्षा के लिए अनुरोध किया विद्वान संत ने उन्हे समझाया कि निर्ग्रन्थ दीक्षा धारन करना एक कठिन मार्ग है।

लेकिन उन्होंने 1915 में 43 वर्ष की आयु में उत्तरू गांव में दीक्षा ली उनका नाम श्रीशान्तिसागर महाराज रखा गया महाराज बनने के बाद उन्होंने अनेक तीर्थक्षेत्रों कि वन्दना के लिए मंगल विहार किया वही आचार्य श्री धर्म के उत्थान हेतु और सिद्धियों सै चारित्र चक्रवर्ती के रूप में विख्यात थे एक बार आचार्य श्री एक गुफा में सामायिक कर रहे थे इसी समय हजारों करोड़ों लाल चींटियां उनके शरीर पर आ गई और भयंकर पीड़ादायक डंक मारकर उनका रक्त चूसने लगी आचार्य श्री लगभग दो घंटे तक हिले नही ओर इस पीडा को सहते रहे।

बाद में कुछ श्रावकों ने यह देखा और उन्होंने पास में चीनी फेंककर चींटियों को भगाया महाराज श्री ने अपने होठ तभी खोले जब सभी चींटियां उनसे दुर हो गई वही आचार्य श्री कागनोला नामक गुफा में मध्यान्ह सामायिक कर रहे थे इसी समय एक भयानक काला सांप उनके शरीर पर आया ओर उन्हे लपेट लिया इस स्थिति मे आचार्य श्री जी के शरीर पर 20 मिनट से अधिक समय रहा आचार्य श्री के ऐसे कई उदाहरण है श्री शान्तिसागर जी महाराज ने दिगंबर परंपराओं को बनाए रखने तथा मजबुत करने और स्थापित करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है।

उन्होंने दिगंबर जैन मुनियों को नग्न घुमने की परंपरा को पुनर्जीवित किया आचार्य श्री के जीवन कि जितनी गाथा गाई जाए व कम है परिचर्चा मे नगर परिषद अध्यक्ष सुरेश बगड़ा (भाया) निर्मल खटोड़ महावीर धानोत्या तनिष्का ठोला सुनिल सेठिया सोरभ बगड़ा नयन शात्री राजुल साकुण्या सहित ओर भी वक्ताओं ने चारित्र चक्रवर्ती परिचर्चा में भाग लिया सम्पूर्ण धार्मिक आयोजन श्री शान्तिसागर सभा मण्डपम श्री विद्यासागर सन्त निलय पर आयोजित हुआ कार्यक्रम मे चारित्र चक्रवर्ती पर वक्ताओं द्वारा परिचर्चा करने वाले सभी का समाज द्वारा सम्मान किया गया इस दोरान बडी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।

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