1. कोरोनाकाल में ऐसे मनाएं रक्षाबंधन:-
कोरोनाकाल में एक के बाद एक त्योहार निकले जा रहे हैं और अब बारी है रक्षाबंधन की। संभव है कि इस साल तमाम प्रकार की पाबंदियों के बीच हम उतनी धूमधाम से इस त्योहार को न मना सकें, जितना कि हर साल मनाते हैं। खुद को सुरक्षित भी रखना है और भाई-बहन के प्यार के इस त्योहार को भी मनाना है। अगर आपके लिए बाजार से राखी लाना संभव न हो पा रहा हो तो निराश होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। आज हम आपको बता रहे हैं वैदिक राखी बनाने की विधि और उसके लिए आवश्यक सामग्री जो कि आपके रसोईघर और पूजाघर में उपलब्ध हो जाएंगी।
2. वैदिक रक्षासूत्र बनाने की विधि:-
इसके लिए 5 वस्तुओं की आवश्यकता होती है। दूर्वा, अक्षत, केसर, चंदन, सरसों के दाने। इन 5 वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी। अब आपको बताते हैं इन पांचों चीजों का महत्व।
3. दूर्वा:-
जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सद्गुणों का विकास तेज़ी से हो। सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बढ़ता जाए। दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए और उन्हें धन, वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति हो।
4. अक्षत:-
अक्षत यानी कभी न क्षय होने वाली वस्तु। जिस प्रकार से अक्षत के गुण होते हैं, उन्हीं गुणों के साथ हम भाई-बहन का प्रेम भी कभी कम न हो। हमारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे।
5. केसर:-
केसर की प्रकृति तेज़ होती है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, वह तेजस्वी हो। उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो। भगवान कृष्ण, मां लक्ष्मी और शिवजी की कृपा उन पर सदैव बनी रहे।
6. चंदन:-
चंदन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध के साथ ही शीतलता देता है। उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो। साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे।
7. सरसों के दाने:-
सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें और सदैव सच्चाई के मार्ग पर अडिग रहें।
8. माता कुंती ने अभिमन्यु को बांधी थी यह राखी:-
महाभारत में यह रक्षासूत्र माता कुंती ने अपने पोते अभिमन्यु को बांधी थी। जब तक यह धागा अभिमन्यु के हाथ में था तब तक उसकी रक्षा हुई, धागा टूटने पर अभिमन्यु की मृत्यु हुई।
रक्षासूत्र बांधते समय ये श्लोक बोलें
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम रक्ष बध्नामि, रक्षे माचल माचल:।