शारदीय नवरात्र का आज छठा दिन है और आज मां दुर्गा के छठे स्वरूप, मां कात्यायनी की पूजा की जा रही है. मां कात्यायनी शक्ति का वो तेजस्वी और उग्र रूप हैं, जो बुराइयों का नाश करती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार, कहा जाता है कि महर्षि कात्यायन ने बहुत तपस्या की थी, तब मां दुर्गा ने उनकी कृपा से उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया. इसलिए इन्हें कात्यायनी देवी कहा जाता है.
मां कात्यायनी का रूप बहुत ही सुंदर और दिव्य है. उनके चार हाथ होते हैं- एक में कमल, दूसरे में तलवार, तीसरे हाथ से वे वरदान देती हैं और चौथे हाथ में अभय मुद्रा होती है, जो आश्वासन देती है कि वे अपने भक्तों की सुरक्षा करती हैं.
उनका वाहन सिंह होता है, जो उनकी ताकत और साहस का प्रतीक है. मां का रंग स्वर्ण जैसा चमकीला होता है. वे भले ही उग्र रूप में हों, लेकिन अपने भक्तों के लिए वह ममता और प्रेम से भरी होती हैं.
कैसे करें मां कात्यायनी की पूजा?:-
माता की चौकी का शारदीय नवरात्र की पूजा में विशेष महत्व है मां कात्यायनी की पूजा कल, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि नवरात्र में 5वें दिन होती है स्कंदमाता की पूजा. स्कंदमाता से त्रिपुरसुंदरी तक... संतान की रक्षा करने वाली देवियां जो हर घर में बसी हैं ग्रहदोष, बीमारी और धन की समस्या... स्कंदमाता की पूजा का ये उपाय दूर करेगा परेशानी शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन आज, जानें कैसे करें संकदमाता की पूजा पूजन में इस दिन लाल या सुनहरे कपड़े पहनना शुभ माना जाता है. मां की मूर्ति या तस्वीर को लाल फूलों से सजाएं, खासकर गुलाब के फूल. भोग में मिठाई के साथ शहद जरूर चढ़ाएं. उसका दीपक जलाएं और फिर 'ऊं देवी कात्यायन्यै नमः ' मंत्र का जाप करें.
मां कात्यायनी क्या सीखाती हैं?:-
मां कात्यायनी हमें सिखाती हैं कि बुराई और गलत चीजों के खिलाफ खड़े होना ही सच्चा धर्म है. अगर मन में हिम्मत, शक्ति और सच्चाई है तो कोई भी बुरा असर नहीं कर सकता. मां के आशीर्वाद से हमारे दिल से डर जाता है और आत्मविश्वास बढ़ता है. नवरात्र के इस खास दिन मां कात्यायनी को याद करें और अपने जीवन से डर, नकारात्मकता और कमजोरी को मिटाएं. उनकी कृपा से आप हमेशा निडर, सफल और तेजस्वी बनेंगे.
मां कात्यायनी से जुड़ी कथा:-
मां कात्यायनी की बड़ी दिलचस्प कथा भी है. एक समय राक्षस महिषासुर ने सारे देवता और इंसानों को परेशान कर रखा था. तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियों से मिलकर मा. कात्यायनी प्रकट हुईं थी. उन्होंने महिषासुर का वध किया और पूरी दुनिया को आतंक से मुक्त किया. इसलिए, उन्हें महिषासुर मर्दनी कहा जाता है.