गयाजी में गरजे पीएम मोदी, जेल से कैसे कोई सरकार चला सकता है?

Neemuch headlines August 22, 2025, 5:59 pm Technology

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गयाजी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सवाल किया कि नेता जेल में रहकर कैसे सत्ता सुख भोग सकता है। जेल से कैसे कोई सरकार चला सकता है? जेल से अब कोई सरकार नहीं चला पाएगा। जो जेल जाएगा उसे कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि जो बेल पर बाहर है वही इस कानून का विरोध कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जब-जब किसी दुश्मन ने भारत को चुनौती दी है, बिहार देश की ढाल बनकर खड़ा हुआ है। इस धरती पर लिया गया हर संकल्प कभी खाली नहीं जाता। जब कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, हमारे निर्दोष नागरिकों को उनका धर्म पूछकर मारा गया था, तब मैंने बिहार की इस धरती से आतंकियों को मिट्टी में मिलाने की बात कही थी। आज दुनिया देख रही है - बिहार की धरती से लिया गया संकल्प पूरा हो चुका है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की रक्षानीति की नई लकीर खींच दी है। अब भारत में आतंकवादी भेजकर, हमले कराके, कोई बच नहीं सकेगा। आतंकवादी चाहे पाताल में क्यों ना छिप जाएं, भारत की मिसाइलें उन्हें दफन करके ही रहेंगी। उन्होंने कहा कि गरीब के जीवन से मुश्किलें दूर करना, महिलाओं के जीवन को आसान बनाना। मुझे जनता-जनार्दन का सेवक बनकर यही काम करने में सबसे ज़्यादा खुशी मिलती है। मेरा एक बड़ा संकल्प है: जब तक हर जरूरतमंद को पक्का घर नहीं मिल जाता, मोदी चैन से नहीं बैठेगा।

इसी सोच के साथ बीते 11 साल में 4 करोड़ से अधिक गरीबों को पक्के घर बनाकर दिए जा चुके हैं। लालटेन राज की याद दिलाते हुए मोदी ने कहा कि यह क्षेत्र लाल आतंक में जकड़ा हुआ था। माओवादियों की वजह से शाम के बाद कहीं आना-जाना मुश्किल हो जाता था। गया जी जैसे शहर लालटेन राज में अंधेरे में डूबे रहते थे। हज़ारों गांव ऐसे थे जहां बिजली के खंभे तक नहीं पहुंचे थे। न शिक्षा थी, न रोजगार... बिहार की कितनी ही पीढ़ियों को इन लोगों ने बिहार से पलायन के लिए मजबूर कर दिया था। बिहार के लोगों को आरजेडी और उनके साथी सिर्फ अपना वोट बैंक मानते थे। उन्हें गरीब के सुख-दुख, गरीब के मान-सम्मान से कोई मतलब नहीं था। अध्यात्म और शांति की धरती है। ये भगवान बुद्ध को बोध प्राप्त कराने वाली पावन भूमि है। गया जी की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध है। यहां के लोगों की इच्छा थी कि इस नगरी को गया नहीं, गया जी कहा जाए। मैं इस निर्णय के लिए बिहार सरकार का अभिनंदन करता हूं। मुझे खुशी है कि गया जी के तेज विकास के लिए बिहार की डबल इंजन सरकार लगातार काम कर रही है। आज ही गया जी की पावन भूमि से एक ही दिन में 12 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है।

इसमें ऊर्जा, स्वास्थ्य और शहरी विकास से जुड़े कई बड़े प्रोजेक्ट हैं। इनसे बिहार के उद्योगों को ताकत मिलेगी और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।

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