इंदौर लगातार आठवीं बार देश का सबसे साफ शहर भोपाल को बड़ी आबादी वाले शहरों में मिला दूसरा स्थान

Neemuch headlines July 17, 2025, 2:56 pm Technology

जबलपुर को मिली ओवरऑल पांचवी रैंकिंग बड़वानी, बुधनी छोटे शहरों की श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार ग्वालियर को भी मिला सम्मान भारत के सबसे बड़े सफाई सर्वेक्षण स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 के नतीजे आ चुके हैं। एक बार फिर मध्य प्रदेश ने बाजी मार ली है। इंदौर ने लगातार आठवीं बार देश के सबसे साफ शहर का खिताब अपने नाम किया है।

वहीं भोपाल को बड़ी आबादी वाले शहरों में दूसरा स्थान मिला है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में विजेता शहरों को सम्मानित किया। क्या है स्वच्छ सर्वेक्षण? स्वच्छ सर्वेक्षण भारत सरकार का एक वार्षिक कार्यक्रम है जो शहरी इलाकों की सफाई, कचरा प्रबंधन और नागरिक भागीदारी के आधार पर शहरों की रैंकिंग तय करता है। यह कार्यक्रम पहली बार 2016 में शुरू हुआ था, तब सिर्फ 73 शहर शामिल थे। अब इस सूची में 4500+ शहर हिस्सा लेते हैं। इंदौर फिर बना देश का सबसे साफ शहर, भोपाल को भी बड़ा सम्मान |

जानें स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 में MP का प्रदर्शन MP की बड़ी जीत – जानें कौन-कौन जीते शहर पुरस्कार इंदौर लगातार 8वीं बार देश का सबसे साफ शहर भोपाल 10 लाख+ आबादी वाले शहरों में दूसरा स्थान उज्जैन सुपर स्वच्छ लीग में अव्वल (3–10 लाख आबादी) बड़वानी, बुधनी छोटे शहरों की श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कार जबलपुर, ग्वालियर विशेष श्रेणियों में सम्मानित क्यों जीतते हैं MP के शहर? 1. कचरे का सही प्रबंधन इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में कचरा घर से उठाने से लेकर उसे अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर प्रोसेस करने तक पूरा सिस्टम बना है। ओवैसी ने पहलगाम हमले का बदला लेने की मांग की, कहा- ऑपरेशन सिंदूर तब तक चलना चाहिए जब तक कि… 2. नागरिकों की भागीदारी लोग खुद भी सफाई में भाग लेते हैं। सोशल मीडिया, स्वच्छता ऐप, और स्कूलों में चलाए जा रहे अभियान बहुत असरदार रहे हैं। 3. प्रशासन की सतर्कता नगर निगम और सफाई कर्मचारियों की तीन-शिफ्ट में ड्यूटी, GPS से ट्रैकिंग और नियमित सफाई का असर नजर आता है। 4. तकनीक का इस्तेमाल जगह-जगह कैमरे, गाड़ियों में GPS और कचरे से बायो-CNG प्लांट जैसे नए उपाय अपनाए गए हैं। क्या है “सुपर स्वच्छ लीग”? 2025 से शुरू की गई सुपर स्वच्छ लीग उन शहरों के लिए है जो लगातार 3 साल तक टॉप रैंकिंग में रहे हैं और इस साल भी अपनी कैटेगरी में टॉप 20% में हैं। इंदौर और उज्जैन जैसे शहर इसमें भी अव्वल रहे हैं।

जानिए सर्वे से जुड़े कुछ आंकड़े 45 दिन तक देशभर के शहरों का फिजिकल सर्वे हुआ 3,000 से ज्यादा टीमों ने हर वार्ड में जाकर सफाई की जांच की 14 करोड़ से ज्यादा नागरिकों ने मोबाइल, ऐप, सोशल मीडिया से अपनी राय दी इंदौर में रोजाना 1,900 टन कचरा उठाया जाता है और उसका 100% प्रोसेसिंग की जाती है लोगों को क्या फायदा? बीमारियां कम होती हैं हवा और पानी साफ रहता है पर्यटन और निवेश बढ़ता है बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहतर वातावरण बनता है अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs) प्र.1 – इंदौर हर साल क्यों जीतता है? उत्तर: क्योंकि इंदौर में प्रशासन, जनता और सफाई कर्मचारियों का जबरदस्त तालमेल है। यहां कचरा अलग-अलग किया जाता है और प्रोसेसिंग पूरी होती है। प्र.2 – क्या छोटे शहर भी जीत सकते हैं? उत्तर: हां। बड़वानी और बुधनी जैसे छोटे शहरों ने भी राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीते हैं। प्र.3 – क्या ये सिर्फ दिखावे के लिए है? उत्तर: नहीं। स्वच्छता सीधे लोगों की सेहत से जुड़ी है। जो शहर लगातार अच्छे काम कर रहे हैं, उन्हें इसके अच्छे नतीजे भी मिल रहे हैं। “स्वच्छता सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, हम सबकी ज़िम्मेदारी है।”

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