चीताखेड़ा। विगत 10 - 15 दिनों से पश्चिमी विक्षोप के चलते मौसम के बदलते मिजाज के कारण ठिठुरन भरी ठंडी हवाओं एवं घने कोहरे ने नव वर्ष का स्वागत किया है ।
घना कोहरा छाया रहने से अफीम, जीरा, धनिया , जीरा, अजवाइन,अफीम, लहसुन,मटर आदि फसलों को नुक़सान हो रहा है तो वहीं शेष गेहूं और चने की अन्य रबी सीजन की फसलों को अधिक फायदा होगा, घने कोहरे के कारण वाहन चालकों को वाहन चलाने में परेशानियों का सामना करना पड़ा। वैसे कुछ दिनों से सुबह-सुबह क्षेत्र में घना कोहरा देखने को मील रहा है। सुबह से ही सर्द हवाओं ने लोगों की कंपकंपी छुड़ा दी, लोग अपने रूटिन कामों के लिए भी घरों से देरी से निकल रहे हैं। विगत 10- 15 दिनों से चल रही हल्की ठिठुरन भरी ठंडी हवाओं के कारण गलन ज्यादा महसूस होने लगी है। घने कोहरे के कारण मजदूरी एवं अन्य दैनिक कार्यों के लिए देर से निकल रहे सूरज जिसके कारण कामों में भी लेट होना पड़ रहा है। सड़कों पर प्रातः 10 बजे बाद भी छुटपुट वाहन चलते नजर आए। धुंध के कारण वाहन चालकों ने हेड लाइटें चलाकर अपने गंतव्य पर पहुंचना पड़ा। किसान देवीलाल पाटीदार ने बताया कि अफीम और जीरा, अजवाइन , धनिया, लहसुन, मटर आदि फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
अफीम, लहसुन, मटर की फसल को काली एवं सफेद मस्सी का रोग हावी होगा वहीं घना कोहरा छाया रहने से नुकसान है तो वहीं अन्य रबी की फसले गेहूं और चने की फसलों में काफी फायदे बंद है। इस ठिठुरन भरे कोहरे एवं सर्द हवाओं के कारण हर कोई गर्म ऊनी कपड़ों में लिपटे हुए नजर आए तो कोई अलाव जलाकर तथा चाय की दुकानों पर चाय की चुस्की लेते ठंड से बचने का उपाय करते दिखाई दिए। डॉक्टर आशिष कुमार झातरिया ने बताया कि यह मौसम दमा सांस के रोगियों के लिए बहुत ही घातक है जितना इस मौसम से बचकर रह सकते हैं उतना बचकर रहें।