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जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवता निवास करते हैं-रामानंद पुरी, श्री मद्भागवत कथा प्रवाहित

Neemuch headlines January 9, 2025, 6:24 pm Technology

नीमच। जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवता विचरण करते हैं। जिस घर में बेटियां जन्म लेती है वहां देवता का आगमन होता है। नारी परिवार की अमूल्य धरोहर होती है। नारी परिवार की धुरी होती है। पि का आदर करना नारी का धर्म होता है। महिलाओं का आदर करना पुरुष का कर्तव्य होता है। यह बातश्री पंचमुखी बालाजी मंदिर कानाखेड़ा के तत्वाधान में आयोजित धर्म कथा में बाबा विश्वनाथ गुरुकुलम उजडखेडा उज्जैन के व्याकरणाचार्य रामानंद पुरी जी महाराज ने कही। वे पंचमुखी बालाजी के दशम स्थापना दिवस एवं मकर सक्रांति के पावन पर्व के उपलक्ष्य में पंचमुखी बालाजी मंदिर भक्ति पांडाल में आयोजित श्री मद्भागवत कथा एवं अखंड रामायण पाठ के आयोजन धर्म कथा में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि अनुसूया इतनी पवित्र थी कि अपने पति की मृत्यु के बाद यमराज से लड़कर वापस ले आई। श्रीमद् भागवत कथा पति-पत्नी और परिवार के बच्चों को भी सुनना चाहिए तभी परिवारों में एकता और शांति स्थापित होगी। प्राचीन काल में विवाह से पूर्व बेटी का पिता वचनदान देकर बेटी का संबंध अन्य परिवार में करता था और 6 वर्ष तक यह रिश्ता रहता था उसके बाद फल दान देता था उसके बाद कन्यादान देकर विवाह करता था उन दिनों पति- पत्नी के बीच संबंध विच्छेद नहीं होते थे। आज हमने परंपराओं को परिवर्तन कर दिया इसलिए घर- घर में संबंध विच्छेद हो रहे हैं। प्राचीन सनातन संस्कृति की परंपरा की सुदृढ़ है कि उसमें परिवार संगठित रहता है। मानव के जीवन में मां परमात्मा और महात्मा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। बचपन में मां, जवानी में महात्मा और बुढ़ापे में परमात्मा का मार्गदर्शन मनुष्य के जीवन का कल्याण कर सकता है। संत मनुष्य के भ्रम को दूर करता है और उसके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। परिवार में भेदभाव नहीं होना चाहिए। परिवार में समानता भगवान तक पहुंचने की प्रथम सिढी है।

देवरानी जेठानी के पुत्र को भी ज्यादा प्रेम देना चाहिए दूसरे के पुत्र को ज्यादा प्रेम देती है। वही यशोदा बनती है। तभी उनकी गोद में जगत का पिता खेलता है। भगवान से कभी मांगना नहीं चाहिए तभी हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है महाराज श्री ने उधो मनु शत्रुपा राजा परीक्षित, बाली, कर्दम ऋषि आदि धार्मिक प्रसंग के वर्तमान परिपेक्ष्य में महत्व प्रतिपादित किया। श्री मद्भागवत कथा 8 से 14 जनवरी तक प्रतिदिन सुबह 11 से 4 बजे तक आयोजन किया जा रहा है। 14 जनवरी को पूर्णाहुति भंडारे के साथ कथा का विश्राम होगा। भागवत पोथी पूजन आरती के बाद प्रतिदिन प्रसाद वितरण किया गया है।

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