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पुण्य कर्मों के फल व्यक्ति की दशा और दिशा तय करते हैं- पंकज कृष्ण महाराज, श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा प्रवाहित।

Neemuch headlines December 29, 2024, 8:17 pm Technology

नीमच। गीता में कहा गया है कि व्यक्ति अपने पुण्य परमार्थ का कर्म करता रहे और फल की इच्छा नहीं करें फल ईश्वर पर छोड़ दें। क्योंकि यदि हमने अच्छा कर्म किया है तो उसका फल हमें अवश्य अच्छा ही मिलेगा। परमात्मा अच्छे कर्मों का फल शीघ्र देता है वह अपने पास नहीं रखता है। विश्वास नहीं हो तो हम अच्छे कर्म करके परिणाम देखें तो हमें स्वतः ही समझ आएगा कि अच्छे कर्मों का फल सदैव अच्छा ही मिलता है।

पुण्य कर्म व्यक्ति की दशा और दिशा दोनों तय करते हैं। गीता ज्ञान व्यक्ति को सत्य की राह के साथ चलकर पवित्र कर्म करने की प्रेरणा देता है। गीता ज्ञान को जीवन में आत्मसात करें तो मनुष्य के जीवन का कल्याण हो सकता है। यह बात पंकज कृष्ण महाराज ने कही। वे आप और हम प्रेमी जन मंडल इंदिरा नगर नीमच के तत्वाधान में शनिदेव मंशा पुर्ण महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा की धर्म सभा में बोल रहे थे । उन्होंने कहा कि भागवत श्रवण करने से जीवन का कल्याण हो जाता है भागवत ज्ञान गंगा को आनंद के साथ श्रवण करें तो आत्मा को शांति मिलती है भगवान की भक्ति में सदैव लिन रहे परमात्मा कब जीवन में खुशियों के दीप जला दे किसी को पता नहीं होता है । भोजन और भजन शांति पूर्वक एकाग्रता से एकांत में करना चाहिए तभी उसका फल मिलता है। श्री कृष्ण को विदुरानी द्वारा केले के छिलके खिलाने विदुर प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भगवत प्राप्ति में आडंबर नहीं प्रेम होना चाहिए। दक्ष प्रजापति के प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि भगवत प्राप्ति में अहंकार बाधक है। कपिल ध्रुव प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मन से इंद्रियों को जीत कर प्रभु की प्राप्ती की जा सकती है।

भगवान के दशावतार सृष्टि का विस्तार कैसे हुआ यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी बताता है। सुनीति को अपनाएं तो ध्रुव जैसा बालक अवश्य जन्म लेगा जो भगवान को प्राप्त करा देगा। मानस पूजा मन से होती है। इसलिए वह सर्वश्रेष्ठ होती है। बेटी के घर पानी भी नहीं पीना चाहिए इसका अर्थ यह है कि उसके पारिवारिक कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए तभी बेटी का परिवार सुखी रहता है। साधु संतों का संग करना चाहिए। इससे जीवन का कल्याण होता है। आत्मा और मन निर्मल हो तभी परमात्मा के दर्शन होते हैं। कण कण में भगवान होता है। प्रकृति पशु पक्षी धरती पेड़ पौधे सभी प्राणियों में भगवान का स्वरूप होता है। जीव दया कर प्राणियों की रक्षा करनी चाहिए। शाकाहार को अपनाना चाहिए मांसाहार से बचना चाहिए। शाकाहार अधिक शक्तिशाली होता हैं। आहार और व्यवहार शुद्ध हो तो जीवन का कल्याण होता है। मन पवित्र करे घर स्वर्ग बन सकता है। बेटा बेटी को खूब पढ़ाना चाहिए लेकिन पढ़ाई के साथ नैतिक शिक्षा के संस्कार के सिखाना चाहिए। तभी वे अपने जीवन को सफल बना सकें। दीन दुखियों की सेवा का संस्कार भी सिखाना चाहिए ताकि उसके जीवन में पुण्य धर्म के संस्कार भी बढ़ते रहे। मृत्यु जीवन का सच्चा दर्पण है। ध्रुव ने 6 वर्ष की अल्पायु में तपस्या कर भगवान की गोद को प्राप्त किया और 12 हजार वर्ष धरती पर राज करने का वरदान प्राप्त किया था। सुनीति को अपनाएंगे तो ध्रुव जैसा बालक अवश्य जन्म लेगा जो भगवान को प्राप्त करा देगा।

भागवत कथा में महाराज श्री ने दक्ष प्रजापति सती शिव यज्ञ, दक्ष प्रजापति, संवाद मीरा, राधा कृष्ण, कबीर तुलसी, प्रियव्रत उत्तानपाद सुनीति, तुलसीदास के प्रसंग, सुरुचि कबीर अजामिल, ध्रुव आदि धार्मिक प्रसंग के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। आरती में श्री मती मालती चांदमल नागर, सोनू शर्मा अनेक लोग उपस्थित थे। श्रीमद् भागवत कथा में सभी महिलाएं लाल परिधानों में सहभागी बनी। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया गिरिराज पर्वत झांकी देख श्रद्धालु भाव विहल हुए, भागवत कथा के मध्य जब महाराज श्री ने इंद्रदेव की पूजा को छोड़कर गिरिराज पर्वत की पूजा करने का प्रसंग बताया तो भक्ति पांडाल में गिरिराज तेरी शरण में क्या कहना भजन पर भक्ति कर श्रद्धालु भक्तों द्वारा श्री कृष्ण बनी 4 वर्षीय बालिका सुश्री प्रगति सुनीता दिलीप सोनगरा ने भक्ति पंडाल में प्रवेश किया तो श्रद्धालु भक्तों द्वारा पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया। और भाव विहल हो गए ।

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