चीताखेडा। संस्कार की पाठशाला है हमारा सनातन धर्म। जिस घर में बेटा-बेटी माता पिता की आज्ञा का पालन नहीं करते, उस घर में सनातन धर्म नहीं पाश्चात्य संस्कृति है। भाग्यशाली हैं वह माता पिता जिन्हें अपना बेटा भोजन दे रहा है, जो बेटा माता पिता की सेवा नहीं करते हैं वह नर्क भोगने हैं।
परमात्मा से जोड़ दे ऐसा सतगुरु चाहिए।शब्द चयन ,भाषा का प्रवाह और भाषाशैली व्यक्ति के व्यक्तित्व को उजागर करते हैं, व्यंगबाण और उपहास महाभारत युद्ध का कारण बन गए। व्यक्ति अपनी भाषा और बोली से जग जीत सकता हैं,हमारी मर्यादित भाषा अनजान लोगों का मन भी मोह लेती हैं वहीं कुत्सित और दुषित भाषा अपनो को भी पराया कर देती हैं।अंधविश्वास में उलझता मानव आज धर्म की राह से भटकता जा रहा हैं। उक्त अमृतवाणी कथा मर्मज्ञ पंडित चंद्र देव महाराज सोनीयाना के मुखारविंद से ग्राम चीताखेड़ा ग्रामवासीयों के सहयोग से पुराना हायर सेकंडरी स्कूल परिसर में स्थित धर्म पंडाल में उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं को श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा प्रवचन के दोरान दुसरे दिन गुरुवार को आत्मसात करवाते हुए कहीं।कहा कि अगर नदियों की तरह मर्यादा में बंधकर शब्द प्रवाह करते हुए कहा कि ।
इतिहास गवाह है कि जब जब भाषा और बोली ने अपनी गरीमा त्यागी है तब तब तबाही हूई हैं।कथा मर्मज्ञ पं. श्री चंद्रदेव महाराज ने कहा है कि अवतार वाद के सिद्धांत में परिक्षीत ने सुखदेव मुनि से पूछा कल्प भेद के अनुसार भगवान नारायण की अनेकों अवतार धारण करके आते हैं चाहे ब्रह्म हो या भरत। ब्रह्म की काया की छाया से पिंड प्रकट हुआ। धर्म के प्रति अंधविश्वास करने वाले लोग धर्म की राह से भटकते जा रहे हैं। रामायण मनुष्य को जीवन का संदेश देती है,तो भागवत मृत्यु और मोक्ष की पथ प्रदर्शक है।कुछ लोग आडंबर रचकर स्वयं को भगवान तुल्य दर्शाने का प्रयत्न करते हैं, जबकि भगवान तो हमारे कर्म में हैं। गीता का श्रवण गंगा समान पूण्य होता हैं।
श्रीमद भागवत कथा प्रवचन के बीच बीच में पंडित चंद्र देव महाराज अपने सुरीले कंठ से अत्याधुनिक वाद्ययंत्र की सुमधुर स्वर लहरियों के साथ..... मेरा तार हरी से जोड़े ऐसा कोई संत मिले............., सच्चे मन में रब बसता है .............., जाएं जग यहां से दो गज का कपड़ा तेरा लिबास होगा ............., जिस पर कृपा राम करे वो पत्थर भी तीर जाते हैं .........आदि सुमधुर भजनों को पूरे मनोभाव से आत्मसात कर रहे हैं।
श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा मे डुबकियां लगाने हेतु बड़ी संख्या मे श्रोताओं का सैलाब उमड रहा हैं। श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा प्रवचन के दोरान शिव-पार्वती,राजा परीक्षित, देवहूती,भगवान कपिल,सुखदेव मुनि,उत्थानपाद,द्रुव,सुनिती,सुरुचि,धुन्दकारी का सारगर्भित प्रसंग का स्मरण कराया।प्रतिदिन श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा प्रवचन प्रातः 11 बजे से शाम 3 बजे तक प्रवाहित किए जा रहे हैं। कथा समिति के सदस्यों ने क्षेत्र कि समस्त धर्मप्रेमी जनता से अपिल की है कि निर्धारित समय पर अधिक से अधिक संख्या मे पहुंच कर धर्म लाभ ले।