भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज भोपाल में ‘रातपानी टाइगर रिजर्व’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि आने वाले समय में रातापानी टाइगर रिजर्व का नाम प्रख्यात पुरातत्वविद डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर के नाम पर रखा जाएगा। ये हरिभाऊ वाकणकर के नाम से प्रसिद्ध हैं और इन्हें भीमबेटका गुफाओं में प्राचीन शिलाचित्रों के अन्वेषण के लिए जाना जाता है। सीएम ने कहा कि ये खुशी और गौरव की बात है कि देश की सभी राजधानियों में सिर्फ भोपाल ही ऐसी राजधानी है, जिसके आँगन में टाइगर रिजर्व पार्क है।
इस अवसर पर कोलार के पास गोल जोड़ से ‘एक विरासत से विकास की अनूठी दौड़’ बाइक रैली भी निकाली गई जिसमें मुख्यमंत्री ने भी बुलेट चलाकर भाग लिया। कार्यक्रम में मशहूर फिल्म अभिनेता रणदीप हुड्डा भी शामिल हुए और उन्होंने भी बाइक रैली में हिस्सा लिया। सीएम डॉ. मोहन यादव ने किया ‘रातापानी टाइगर रिजर्व’ का लोकार्पण मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के 8वें टाइगर रिजर्व ‘रातापानी’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर ‘एक विरासत से विकास की अनूठी दौड़’ बाइक रैली में मुख्यमंत्री और अभिनेता रणदीप हुड्डा ने बुलेट चलाकर हिस्सा लिया। इस रैली में हजारों युवा शामिल हुए। यह रैली कोलार रोड स्थित गोल जोड़ से शुरू होकर एकांत पार्क तक पहुंची।
मध्य प्रदेश में इससे पहले 7 टाइगर रिजर्व थे जिनमें कान्हा टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, पेंच टाइगर रिजर्व, पन्ना टाइगर रिजर्व, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, संजय दुबरी टाइगर रिजर्व और नौरादेही टाइगर रिजर्व शामिल हैं। आज ‘रातपानी टाइगर रिजर्व’ के लोकार्पण के साथ ही इनकी संख्या आठ हो गई है, वहीं शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान को भी भारत सरकार द्वारा टाइगर रिजर्व का दर्जा मिल गया है और वो जल्द ही वो प्रदेश का 9वां टाइगर रिजर्व बन जाएगा। ‘टाइगर है जंगल का असली राजा’ ‘रातपानी टाइगर रिजर्व’ का लोकार्पण करते हुए सीएम मोहन यादव ने कहा कि इस अभ्यारण्य के माध्यम से नई इबारत लिखी जाएगी। उन्होंने कहा कि पूरे देश की सभी राजधानियों में एकमात्र राजधानी भोपाल है जिसके आँगन में टाइगर रिजर्व पार्क है। ये हमारे लिए बड़ा सम्मान है। हमारी कोशिश है कि टाइगर रिजर्व के माध्यम से भविष्य मे रोज़गार के अवसर सृजित हो। सीएम ने कहा कि ‘मुझे आज कर समझ नहीं आया कि टाइगर और लायन में जंगल का राजा लायन क्यों कहा जाता है।
जंगल का राजा तो टाइगर ही होता है। इन दोनों में मूल अंतर है। टाइगर अपने भोजन के लिए ख़ुद पराक्रम और पुरुषार्थ करके उसे हासिल करता है और खाता है। वो पूरे एरिया का शाम के बाद अपने कुनबे के साथ लगातार घूमते हुए निगरानी करता है। टाइगर अपने इलाके की भी चिंता करता है। जबकि लायन भोजन के लिए परिवार पर निर्भर रहता है। वो अपना शिकार खुद नहीं करता है। बाकी लोग शिकार करते हैं वो वो खाता है। मुझे इसीलिए समझ नहीं आया कि जो खुद शिकार नहीं करे वो राजा कैसे है।’ प्रख्यात पुरातत्वविद वाकणकर पर रखा जाएगा टाइगर रिजर्व का नाम इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि आने वाले समय में ‘रातापानी टाइगर रिजर्व’ का नाम प्रख्यात पुरातत्वविद डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर के नाम पर रखा जाएगा। विष्णु श्रीधर वाकणकर उर्फ हरिभाऊ वाकणक का जन्म 4 मई 1919 में नीमच जिले में हुआ था। वे संस्कार भारती के संस्थापक महामंत्री थे जो एक अखिल भारतीय संगठन है, जो कला और साहित्य को समर्पित है। अपने जीवन के अधिकांश समय में, डॉ. वाकणकर ने भारतीय सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने और प्रचारित करने का कार्य किया। उनके इस योगदान के कारण साल 1975 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया है। उनका शोध भारत की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को विश्वभर में उजागर करने में सहायक था। उन्होंने ‘सरस्वती नदी भारतवर्ष में बहती थी’ इस सिद्धांत को अपने शोध से प्रमाणित किया और उस अदृश्य नदी के मार्ग को भी उजागर किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के बाद, डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर ने आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक और शैक्षिक उत्थान के लिए कार्य किया। उन्होंने लगभग 50 वर्षों तक जंगलों में पैदल यात्रा की और विभिन्न प्रकार के हजारों चित्रित शैल आश्रयों का पता लगाया। इन शैल चित्रों की कापियाँ बनाकर, उन्होंने इस विषय पर देश-विदेश में शोध पत्र लिखे, व्याख्यान दिए और प्रदर्शनी आयोजित की। उनके इस कार्य ने भारतीय पुरातत्त्व के क्षेत्र में नया प्रकाश डाला और शैल चित्रों के महत्व को व्यापक रूप से प्रस्तुत किया।