नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को एक हैरान करने वाला और विवादास्पद मामला सामने आया है, जब कांग्रेस सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी की बेंच के नीचे नोटों के बंडल मिले। इस घटना ने संसद में हड़कंप मचा दिया और सत्ता पक्ष ने तुरंत मुद्दे पर विरोध जताया।
जैसे ही राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, इस पर हंगामा शुरू हो गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जांच के आदेश दिए हैं। अब सभी की निगाहें इस जांच पर हैं, कि क्या सच में कुछ अनियमितताएं सामने आएंगी या यह महज एक गलतफहमी थी। मनु सिंघवी ने अपनी सफाई पेश की राज्यसभा में मिले नोटों के बंडल पर कांग्रेस सदस्य मनु सिंघवी ने अपनी सफाई पेश की है। सिंघवी का कहना है कि जिन नोटों के बंडल उनकी सीट के नीचे पाए गए हैं, वह उनके नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह राज्यसभा में केवल 3 मिनट के लिए आए थे और उनके पास सिर्फ 500 का एक ही नोट था। उनका कहना था, कि उन्होंने वहां कोई पैसे नहीं रखे थे। जेपी नड्डा ने कसा विपक्ष पर तंज आपको बता दें, इस मामले पर केंद्रीय मंत्री और सदन के नेता जेपी नड्डा ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि किसी मुद्दे पर तीव्रता दिखाई जाती है, लेकिन कुछ मामले में उसे दबा दिया जाता है। मुझे लगा कि यहां पर विपक्ष के बड़े सीनियर नेता मौजूद है और वह कहेंगे कि मामले की जांच होनी चाहिए लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि ऐसा नहीं कहा गया। नड्डा ने इस घटना को असाधारण घटना बताते हुए सभापति से इस मामले की गहराई से और निष्पक्ष जांच कराने की मांग की।
इतना ही नहीं उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि सभापति इस गंभीर मामले में उचित कार्रवाई करेंगे। खड़गे का बयान वहीं, इसके पहले विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन में कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए और उन्होंने स्पष्ट किया कि विपक्ष ने कभी किसी मामले को दबाने का प्रयास नहीं किया है, उनका कहना था कि यह हमेशा दूसरे पक्ष का काम रहा है। इतना ही नहीं मल्लिकार्जुन खड़गे ने आग्रह किया की जांच पूरी होने और सच्चाई सामने आने तक किसी सदस्य का नाम उजागर नहीं किया जाए। नोट मिलने के बाद की गई जांच की प्रक्रिया यह मामला सामने आने के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में बताया कि गुरुवार को सदन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद सांसद कर्मचारियों ने सभी सीटों की तलाशी ली। इस दौरान एक सीट से नोट मिले थे। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों ने नोट मिलने के बाद सीट संख्या दर्ज की और उच्च अधिकारियों को सूचित किया।
साथ ही यह भी कहा गया कि जिस सदस्य की सीट से नोट मिले हैं, उसने राज्यसभा में शामिल होने के हस्ताक्षर किए हैं, इसलिए इस बारे में पहले से नाम बताने पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।