नीमच । जो गुरु का सम्मान नहीं करता है वह अभिमानी हो जाता है। गुरु के वचनों को जीवन में आत्मसात किए बिना आत्मा का कल्याण नहीं होता है। संत मान अपमान दोनों सहन कर लेते हैं वह प्रति उत्तर में कुछ भी नहीं कहते हैं लेकिन भगवान सब देखता है और वह परिणाम देता है।
गुरु के वचनों का पालन करना ही संतों की सबसे बड़ी सेवा होती है। यह बात साध्वी भक्ति प्रिया इंदौर की शिष्या एवं ईश्वरीय प्रेम आश्रम इंदौर की साध्वी विष्णु प्रिया जी ने कहीं। वे भागेश्वर महादेव आश्रम में सुबह 9 बजे आयोजित धार्मिक सत्संग प्रवचन में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि मंदिरों में भगवान की सेवा पूजा करने से मन में जागृति आती है। भगवान के मिलने में देर नहीं होती है। हमारे समर्पित भाव से जाने में देर हो जाती है। प्रभु वाणी निरंतर सुनेंगे तभी भक्ति का भाव जागृत होता है। अभिमान से रहित होकर संत दर्शन के लिए पैदल जाना यज्ञ के बराबर होता है। इंसान के पास करोड़ों रुपए की धन दौलत है फिर भी इंसान खुश नहीं है जिसके पास राम नाम का धन है वह सदैव सुखी रहता है। यदि हम किसी के ऊपर दया करते हैं तो भगवान हमें याद करता है। संतों की संगत करना प्रथम भक्ति कहलाती है। हरि की कथा करना दूसरी भक्ति कहलाती है।
साध्वी महाराज साहब ने काग भसुंडी गरुड़ के पूर्व जन्म में भोले के भक्त की कथा का विस्तार से वर्तमान परिपेक्ष में महत्व प्रतिपादित किया। विभिन्न प्रश्नों के उत्तर साध्वी विष्णु प्रिया जी के मुखारविंद से श्रद्धालु भक्तों को मार्गदर्शन के रूप में प्रदान किया जा रहे हैं। संत श्री भक्ति प्रिया इंदौर की शिष्या ईश्वरीय प्रेम आश्रम इंदौर की साध्वी विष्णु प्रिया जी के अमृत प्रवचन श्री राम कथा पर आधारित सत्संग ज्ञान गंगा प्रतिदिन भागेश्वर महादेव आश्रम पर 15 से 26 नवम्बर तक सुबह 9 से 10:30 बजे तक प्रवाहित हो रही हैं।